सामंजस्य, समझदारी, समझौते से बनता है सुखद दाम्पत्य जीवन
साध्वी डॉ. गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट माधावरम् के तत्वावधान में दंपत्ति कार्यशाला-'दाल-भात साथ-साथ' का आयोजन हुआ। साध्वीश्री ने कहा कि जीवन का हमसफर तो हर कोई ढूंढ लेता है। लेकिन हमसफर के साथ जीवन किस प्रकार जीना है, यह ज्ञान होना बहुत जरूरी है। छोटी-छोटी बातों में जीवन साथी के साथ उलझन से नहीं, सकारात्मक सोच से जीयें। हम अपने मधुर व्यवहार और आदतों से इस पवित्र रिश्ते में उन्नत ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। बर्तन को छाबड़ी से रखते या निकालते समय आवाज आ सकती है, लेकिन पड़े रहने पर शांत रहते हैं। इसी तरह दाम्पत्य जीवन में भी कुछ समय के लिए बोलचाल हो सकती है, लेकिन बाद में शांत, प्रशांत हो कर दूसरों के लिए प्रेरणास्पद बनें।
दाम्पत्य जीवन समझदारी, सामंजस्य, समझौते, समता, सहिष्णुता के गुणों से भरपूर बने। हम स्वयं अपने लिए, परिवार, समाज, राष्ट्र के लिए उपयोगी बने। साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि दंपत्ति जीवन की राह में एक आग है, तो दूसरा शीतल जल हो जाये। एक अंगारा है, तो दूसरा बर्फ बन जाये तो जीवन गाड़ी का यह पथ व्यवधानों से बच सकता है। यह रिश्ता कांच के शीशे की तरह अति नाजुक है। इसीलिए जीवन मंदिर को सजाने के लिए एक-दूसरे के गुणानुवाद और गुणों का अन्वेषण करें। साध्वी दक्षप्रभा ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। रश्मि सुराणा ने रेकी से अपने आभामण्डल को पोजिटिव ऐनर्जी से भरने के प्रेक्टिकल प्रयोग करवाए। राकेश खटेड एवं राजेश खटेड ने दम्पत्तियों को आध्यात्मिक गेम्स खिलाए। धन्यवाद ज्ञापन सुरेश रांका ने दिया। प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा के साथ