गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 111वें जन्मदिवस पर विविध कार्यक्रम
मुनि सुधाकर जी के सान्निध्य में आचार्य श्री तुलसी के 111 वें जन्मोत्सव पर विशेष आयोजन किया गया। मुनिश्री ने कहा कि गुरुदेव श्री तुलसी विरोध में भी विनोद को देखते थे। उनकी इसी प्रतिभा के कारण अन्य जैनेत्तर भी उनके प्रशंसक थे। वे नारियल की तरह कठोर तो फूल से भी कोमल हृदय वाले थे। उनकी पांच कौशल प्रतिभा - अध्यात्म, नेतृत्व, साहस, समयज्ञ और शिक्षा को अनेक उदाहरणों से समझाते हुए उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित किया। मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्य तुलसी ने तेरापंथ धर्मसंघ को अनेक अवदान दिये, धर्मसंघ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। वे निज पर शासन फिर अनुशासन के पक्षधर थे, जिसका उदाहरण उन्होंने आचार्य पद में रहते हुए आचार्य पद का विसर्जन कर मानव समाज को विसर्जन की भूमिका का प्रस्तुतीकरण दिया।