तप से होती है आत्मिक परिशुद्धि

संस्थाएं

तप से होती है आत्मिक परिशुद्धि

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में संपत देवी दुगड़ के मासखमण तप (31 दिन) के प्रत्याख्यान के अवसर पर मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन साउथ कलकत्ता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन में किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा- भारतीय संस्कृति में त्याग का बड़ा महत्त्व है। कुछ विरले लोग ही त्याग करते है। तप अध्यात्म का संगीत है। तप भविष्य का द‌र्पण है। तप से काया कुंदन होती है। तपस्या से मानसिक शांति मिलती है और आत्मिक परिशुद्धि होती है। तपस्या से संकटों का नाश होता है। धन्य होते है वे लोग जो तपस्या करके महान निर्जरा करते है। इस मौसम में संपत बाई दूगड़ ने मासखमण करके हिम्मत व साहस का परिचय दिया है। मुनि परमानंद जी ने कहा संपत बाई ने तपस्या कर मनोबल का परिचय दिया। इस अवसर पर तपस्वी को प्रदत्त साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन करते हुए साउथ कोलकता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विनोद जी चोरड़ि‌या ने तपस्वी के तप की अनुमोदना करते हुए अभिनंदन किया। अभिनंदन पत्र का वाचन सहमंत्री मनोज दुगड़ ने किया। दक्षिण हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफना, मोहिनी देवी सुराणा, पुत्र वधु आस्था दुगड़ व नीलांचल अपार्टमेन्ट की महिलाओं ने तप अनुमोदना में अपने भावों की प्रस्तुति गीत व वक्तव्य के माध्यम से दी। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री कमल कोचर ने किया। सभा द्वारा तपस्वी का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुणाल कुमार जी ने किया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।