भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला

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भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद् जयपुर द्वारा ’शासन गौरव’ बहुश्रुत साध्वी कनकश्रीजी ठाणा-6 के सान्निध्य में अणुविभा जयपुर केन्द्र में 'भिक्षु विचार दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला' का आयोजन किया गया। तेयुप जयपुर के उपाध्यक्ष प्रवीण जैन व कार्यसमिति सदस्य सौरभ जैन ने विजय गीत का संगान कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। साध्वी मधुलताजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का दर्शन एक अलौकिक दर्शन है। इस दर्शन ने धर्म का वास्तविक रूप समाज के सामने रखा, आचार्य भिक्षु ने कहा धर्म त्याग में है, भोग में नहीं, व्रत में है अव्रत में नहीं, असंयति की जीने की वांछा करना राग, मरने की वांछा करना द्वेष, संसार समुद्र से तरने की वांछा करना वीतराग देव का धर्म है। आचार्य भिक्षु ने लौकिक और लोकोत्तर दो भागों में अपना दर्शन प्रस्तुत किया। सावद्य दान और सावद्य दया मुक्ति का मार्ग नहीं है। शुद्ध साधन के द्वारा ही शुद्ध साध्य की प्राप्ति हो सकती है। हदय परिवर्तन से ही अहिंसा का मार्ग प्रशस्त होता है।
साध्वी समितिप्रभाजी नेअपने वक्तव्य में आचार्य भिक्षु की अनुकम्पा को कुछ उदाहरणों से बताते हुये कहा कि आचार्य भिक्षु को सत्य क्रांति का पुरोधा कहा जा सकता है। समाज में जन-जागृति का प्रचार-प्रसार कर उन्होंने रूढ़िवादी प्रथाओं पर विराम लगाया। कार्यक्रम में अणुविभा जयपुर केन्द्र के अध्यक्ष पन्नालाल बैद, तेयुप जयपुर के अध्यक्ष गौतम बरड़िया, संगठन मंत्री श्रीकांत बोरड़ सहित अनेकों श्रावक-श्राविका समाज की उपस्थिति रही।