रिद्धि मंत्र दिव्य महा अनुष्ठान का आयोजन

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रिद्धि मंत्र दिव्य महा अनुष्ठान का आयोजन

जैन धर्म में भक्तामर स्तोत्र को महामंगलकारी, विघ्न-विनाशक और कष्टहारी माना जाता है। यह जीवन की अनेक जटिल समस्याओं के निवारण की क्षमता रखता है। दिव्य भक्तामर स्तोत्र आधारित रिद्धि मंत्र महा अनुष्ठान का आयोजन रायपुर स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में किया गया। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा, समणी निर्देशिका विपुल प्रज्ञा जी और समणी आदर्श प्रज्ञा जी के सान्निध्य में आयोजित इस अनुष्ठान में प्रत्येक पद्य को सचित्र प्रोजेक्टर के माध्यम से दिव्य मंत्रों के साथ समुच्चारित कराया गया।
समणी विपुलप्रज्ञा जी ने अनुष्ठान में उपस्थित आराधकों को बताया कि भक्तामर स्तोत्र की रचना जिन शासन की प्रभावना के उद्देश्य से आचार्य मानतुंगसूरी द्वारा की गई थी। भक्तामर स्तोत्र की महिमा और चमत्कार असीम और अपरंपार है। भक्तामर स्तोत्र में कुल 48 पद्य हैं, उनमें से 4 पद्य अति प्रभावकारी माने गए हैं। इनका दुरुपयोग न हो, इस कारण वर्तमान समय में केवल 44 पद्यों का उल्लेख मिलता है और इन्हीं का संगान किया जाता है। समणी जी ने कहा कि यदि कोई साधक पूर्ण मनोभाव और श्रद्धा से भक्तामर स्तोत्र की स्तुति करता है, तो उसे इसके दिव्य प्रभाव का अनुभव अवश्य होता है। अनुष्ठान में विशेष रूप से उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में गौतम गोलछा, नवरतन डागा, नेहा जैन, वीरेंद्र डागा, मधुर बच्छावत, श्याम जिंदल और अभय गोलछा शामिल रहे।