मनुष्य जीवन है मूल पूंजी, धर्म से करें इसकी वृद्धि : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मनुष्य जीवन है मूल पूंजी, धर्म से करें इसकी वृद्धि : आचार्यश्री महाश्रमण

जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एक दृष्टांत के माध्यम से प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं- कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी मूल पूंजी गंवा देते हैं—वे पाप और अधर्म में लिप्त रहते हैं। मनुष्य जन्म उनकी मूल पूंजी होती है, लेकिन वे इसे खोकर नरक या तिर्यंच गति में जन्म लेते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो न अधिक पाप करते हैं और न ही विशेष पुण्य—वे सामान्य जीवन जीते हैं और मरकर पुनः मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं। उन्होंने अपनी मूल पूंजी को बचाया, लेकिन उसे बढ़ाया नहीं। वहीं, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धर्म साधना में लगे रहते हैं। वे गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी धर्म ध्यान की कमाई करते हैं और उच्च गति में जन्म लेते हैं।
यह मनुष्य जन्म हमें प्राप्त हुआ है, हमें इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। यदि कोई साधु बनकर साधुत्व का उत्तम पालन करे, तो यह और भी श्रेष्ठ है। गृहस्थ जीवन में भी अहिंसा, संयम, नैतिकता और त्याग का अभ्यास चलता रहना चाहिए। श्रावकों की गति बारहवें देवलोक तक मानी गई है। जीवन में धन और धर्म दोनों आवश्यक हैं—इन दोनों को संतुलित करना चाहिए। गृहस्थ धन के साथ धर्म की साधना का भी निरंतर प्रयास करते रहें।
आचार्यश्री ने कहा कि माघ शुक्ला द्वादशी को संयम पर्याय के पचास वर्ष पूर्ण करने वाली तीन साध्वियों - साध्वी संगीतश्रीजी, साध्वी संवेगश्रीजी व साध्वी स्वर्णरेखाजी को पावन प्रेरणामय आशीर्वचन प्रदान करवाया। पूज्यवर ने कहा - तीनों साध्वियां श्रीडूंगरगढ़ से हैं और तीनों के नाम में ‘स’ है, और तीनों गुरुदेव श्री तुलसी द्वारा श्रीडूंगरगढ़ मर्यादा महोत्सव के बाद दीक्षित हुई थी। आचार्य प्रवर ने तीनों साध्वियों को स्वाध्याय आदि की प्रेरणा दी।
आचार्यश्री ने ‘बेटी तेरापंथ की’ के कार्यक्रम के संदर्भ में पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि बेटियां धार्मिक बनें। अपने खुद के जीवन में अच्छी धार्मिकता रहे और परिवार को अच्छे संस्कार देने का प्रयास हो। खानपान में शुद्धि हो और बच्चों में अच्छे संस्कार दें। परिवार में शांति, सद्भाव रहे और धर्म की कमाई के प्रति भी अच्छी चेतना बनी रहे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त तेरापंथी सभा-भुज के अध्यक्ष वाडीभाई ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल-भुज तथा ‘बेटी तेरापंथ की’ सदस्याओं ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया।