धर्म संघ के लिए वरदान है मर्यादाएं

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धर्म संघ के लिए वरदान है मर्यादाएं

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ विजयनगर के तत्वावधान में मुनि मोहजीत कुमार जी ठाणा 3 एवं साध्वी सिद्धप्रभा जी ठाणा 4 के सान्निध्य में तेरापंथ धर्म संघ के 161वें मर्यादा महोत्सव का भव्य आयोजन चतुर्विध धर्मसंघ की उपस्थिति में विजयनगर स्थित अर्हम भवन में आयोजित हुआ। मर्यादा रैली के साथ मुनिश्री का पदार्पण अर्हम भवन में हुआ। तत्पश्चात मुनिश्री के मुखारविंद से नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मुनि भव्य कुमार जी ने मर्यादा घोष एवं मर्यादा गीत का संगान किया। बैंगलोर के सभी तेरापंथ महिला मंडल की बहनों द्वारा मंगलाचरण की सुमधुर प्रस्तुति दी गई। विजयनगर सभा अध्यक्ष मंगल कोचर ने सभी का स्वागत अभिनंदन किया। तेरापंथ किशोर मंडल एवं कन्या मंडल विजयनगर द्वारा 'संघ हमारा है' गीत की रोचक प्रस्तुति दी गई।
मुनि मोहजीत कुमार जी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के इतिहास में अनेक उत्सवों की श्रृंखला में तेरापंथ धर्म संघ का मर्यादा महोत्सव अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यह पर्व लौकिकता से पृथक अलौकिक भाव चेतना से जुड़ा है। यह उत्सव तेरापंथ धर्म संघ का महाकुंभ है। मर्यादा और अनुशासन की भाव धारा से बंधा हुआ यह महोत्सव एक गुरु और एक विधान के प्रति समर्पित है। आचार्य भिक्षु द्वारा बनाई गयी मर्यादाएं हमारे धर्म संघ के लिए एक वरदान है। मुनिश्री ने कहा- तेरापंथ के संविधान के प्रति सजगता, समर्पण एवं आत्म निष्ठा के संस्कारों को प्रगाढ़ बनाने का पाथेय संघ के आचार्य द्वारा प्रदान किया जाता है। हम संघ एवं संघपति के प्रति निष्ठावान बने।
साध्वी सिद्धप्रभा जी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति देते हुए कहा जिस प्रकार प्राण के बिना शरीर का कोई महत्व नहीं होता, मर्यादा तेरापंथ धर्म संघ का प्राण है। आचार्य भिक्षु ने संघ के विकास के लिए कुछ मर्यादाओं का निर्धारण किया जो आज संघ के लिए सुरक्षा कवच हैं, संघ की डोर है। इसमें गुरु की आज्ञा सर्वोपरि है। साध्वी वृंद ने मर्यादा पर्व महान बताते हुए इसे महोत्सव का स्वरूप प्रदान करने वाले जयाचार्य के अवदानों को याद करते हुए गीतिका की प्रस्तुति दी। मुनि वृंद एवं साध्वी वृंद द्वारा लेख पत्र का वाचन किया गया।
विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने आचार्य तुलसी के अवदानों को याद करते हुए कहा कि जीवन के हर क्षेत्र की अलग-अलग मर्यादाएं हैं। हम मर्यादाओं के प्रति जागरूक बनें, समाज, परिवार, राष्ट्र, राजनीति हर क्षेत्र में मर्यादा का पालन करें। मुख्य अतिथि IAS मनोज जैन ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के संदेश का वाचन संयोजक विनोद पारख ने किया।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ महासभा के अभूतपूर्व अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि वरिष्ठ श्रावक हीरालाल मालू ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन करवाया। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए मुनि जयेश कुमार जी ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में तेरापंथ की मर्यादाओं का भारतीय संविधान के साथ तुलना करते हुए उनकी उत्कृष्टता को प्रकट किया। विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि एवं प्रायोजक परिवार का विजयनगर सभा द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम के प्रायोजक परिवार एवं ज्ञानशाला प्रायोजक एवं मुख्य अतिथि संजय बैद, कार्यक्रम के प्रायोजक सुनील नाहटा, TPF के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिम्मत मांडोत, अभातेयुप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन मांडोत, अणुविभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री राजेश चावत, तेरापंथ सभा गांधीनगर के अध्यक्ष पारसमल भंसाली एवं विभिन्न स्थानीय संस्थाओं के वर्तमान एवं पूर्व पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्यों एवं श्रावक समाज की उपस्थिति रही।