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मर्यादाओं में छिपा है तेरापंथ की तेजस्विता का रहस्य
गुलाबबाड़ी स्थित तेरापंथ भवन में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में 'शासनश्री' साध्वी धनश्रीजी ठाणा—4 के सान्निध्य में 161वें मर्यादा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 'शासनश्री' साध्वी धनश्रीजी ने मर्यादा का महत्व बताते हुए कहा - आचार्य भिक्षु ने नेतृत्व को बहुत महत्व दिया। उन्होंने बहुत मर्यादाएं बनाई, उनमें पांच मौलिक मर्यादाएं हैं जिनके आधार पर तेरापंथ धर्मसंघ चल रहा है, उसका संगठन और व्यवस्थाएं व्यवस्थित बनी हुई हैं। तेरापंथ की तेजस्विता, यशस्विता और शक्तिमानता का रहस्य उन मर्यादाओं में छिपा हुआ है। मर्यादा निर्माण के पांच प्रमुख उद्देश्य रहे संविभाग, समभाव, सौहार्द एवं परस्परता, कलह मुक्ति एवं शुद्ध मर्यादाचार। मर्यादाएं बंधन नहीं व्यवस्था होती हैं।
इससे पूर्व साध्वी परिवार ने 'तेरापंथ महायान' की रोचक प्रस्तुति के साथ गीतिका की प्रस्तुति दी। साध्वी सलिलयशाजी, साध्वी विदितप्रभाजी ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में महिला मंडल ने 'जय जय भिक्षु जय जय हो' की ध्वनि के साथ मंगलाचरण का संगान किया। इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष गजराज बोथरा, पूर्व अध्यक्ष रतनलाल जैन, भूपेंद्र बरडिया, महावीर हीरावत, जयपुर से समागत सौरभ जैन, सचिन जैन सहित सभा से धर्मचंद जैन एवं सदस्यों, तथा युवक परिषद से आशीष सुराना एवं सदस्यों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। तेरापंथ समाज की बेटियों ने पांच मर्यादाओं की विवेचना करते हुए अत्यंत सुंदर प्रस्तुति दी। साध्वी शीलयशाजी ने कार्यक्रम का सुंदर संचालन किया। सभा अध्यक्ष गजराज बोथरा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन करवाया।