शिष्यत्व में भी होता है गौरव का अनुभव

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शिष्यत्व में भी होता है गौरव का अनुभव

तिरुवन्नामलै के महावीर भवन में 161वां मर्यादा महोत्सव मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा तिरुवन्नामलै द्वारा आयोजित किया गया। मुनि दीप कुमार जी ने कहा- तेरापंथ का सर्वोच्च पर्व है मर्यादा महोत्सव। संसार में अनेक उत्सव मनाए जाते हैं किंतु मर्यादाओं का उत्सव विश्व में कहीं भी नहीं मनाया जाता केवल तेरापंथ में मनाया जाता है। इस दृष्टि से मर्यादा महोत्सव अनुपम है, अद्भुत है और आकर्षण का केंद्र है। आचार्य भिक्षु ने मर्यादाएं बनाकर संघ पर महान उपकार किया। श्रीमद् जयाचार्य ने उसे महोत्सव का स्वरूप प्रदान कर विलक्षण कार्य किया। तेरापंथ धर्म संघ आश्वास है, विश्वास है, नंदनवन है, वातानुकूलित है। यहां संघ और संघपति का संबंध बहुत गहरा होता है। आचार्य श्री के वचनों को बहुमान दिया जाता है। जहां आचार्यप्रवर का निर्देश होता है वहीं शिष्य-शिष्याएं विहार-चातुर्मास करते हैं। शिष्य-शिष्या भी शिष्यत्व में गौरव का अनुभव करते हैं। मुनि श्री ने आगे कहा-हम संघपति की दृष्टि की अनुपालना में सतत जागरूक रहें। संघ सेवा में समर्पण भाव बढ़ता रहे।
मुनि काव्य कुमार जी ने संचालन करते हुए कहा- संघ की तेजस्विता बढ़ाने वाला है- मर्यादा महोत्सव। यह मर्यादा, अनुशासन, विनय, समर्पण और अप्रमाद का महोत्सव है। कार्यक्रम में मंगलाचरण ज्ञानशाला के बच्चों ने किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने गीतों का संगान किया। विवेक सेठिया ने तेयुप की ओर से, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष संतोष सेठिया, तेरापंथी सभा अध्यक्ष अरविंद सेठिया, तेरापंथी सभा कोयंबटूर की ओर से उत्तमचंद पुगलिया, कुन्नूर से मधु पारख, सुरभि सेठिया ने विचार और गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन संघ-गान के साथ हुआ। कार्यक्रम में कोयंबतूर, चेन्नई, कुन्नूर, गुड़ियात्तम, विल्लुपुरम, पोलूर, जयसिंहपुर क्षेत्र के श्रद्धालु जन उपस्थित थे।