हर क्षण परमानन्द-परमानन्द की अनुभूति

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साध्वी कार्तिकयशा

हर क्षण परमानन्द-परमानन्द की अनुभूति

शासनश्री साध्वी मदनश्रीजी उच्च त्याग, तपोबल, आत्मबल से भौतिक नश्वर देह का त्याग कर चेतना की ऊंचाइयों में विलीन हो गई । उनका यूं चले जाना अभी तक भी मन को गवाही नहीं दे रहा। साध्वी श्री मदनश्री जी का वह हंसता चेहरा, मीठा जयकारा, वत्सलता की वर्षा आत्मीयभाव, प्रमोदभावना, अप्रमत्ता, स्वाध्यायशीलता, सृजनशील रचनात्मकता की वर्षा उत्साही खुशमिजाजी व हर क्षण परमानन्द-परमानन्द अनुभूति भरा आभामण्डल मेरी आँखों में तैर रहा है। मैं अपना परम सौभाग्य मानती हूं कि मुझे बीदासर की दो चाकरी में ‘शासनश्री’ साध्वी मदनश्री जी जैसे माईत की सेवा का अवसर मिला। आपका सतत वरदहस्त, आशीर्वाद, प्रेरणा, प्रोत्साहन ने मुझे सकारात्मक दिशा में गतिशील किया है। उनका माईतपणा, कृपाभाव, अपनापन सदैव स्मृति पटल पर अंकित रहेगा। साध्वी श्री मंजुयशा जी का कितना सुन्दर सुयोग मिला। पूर्ण मनोयोग से सेवा कर उन्हें समाधि प्रदान कर त्याग तपस्या संथारा करवाकर खूब साझ दिया। पूरे वर्ग ने मनोयोग से सेवा की है। मुनिश्री जयकुमार जी का सान्निध्य व दर्शन सेवा का लाभ साध्वी मदनश्री जी के चित्त में प्रसन्नता आह्लाद की प्राप्ति कराने वाला तथा समाधिस्थ होने में योगभूत बना है। साध्वी मदनश्री जी की आत्मा के प्रति अनन्त-अनन्त मंगलकामना। अंतिम लक्ष्य का वरण करें, यही शुभकामना।