बड़ी पुण्यवान साध्वी थी

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शासनश्री साध्वी सूरज‌कुमारी, शार्दुलपुर

बड़ी पुण्यवान साध्वी थी

साध्वी मदनश्री मधुर भाषी, व्यवहार कुशल, मिलनसार, संयम में रमण करने वाले बड़ी पुण्यवान साध्वी थी। भाणजी साध्वी मंजुयशा जी का इस बार सहज संयोग मिल गया और अंतिम समय में तपस्वी जयमुनि का भी योग मिल गया। वे मेरी छोटी बहन से भी बढ़कर थे। हम दोनों का आपस में पुराना संबंध था। दोनों के अग्रगामी माँ जायी बहन की तरह थे। उनकी इतनी मिलनसारिता थी, हमारा मानो सगी बहनों की तरह आपसी स्नेह एवं वात्सल्य भाव था। वे बड़े भाग्यशाली थे। पांच दिन की संलेखना तप में संथारा कर गए। मैं भी इस प्रकार अंत समय में संथारे सहित जाऊं। ऐसा साध्वी मदनश्री जी मुझे साझ देना इसी भावना के साथ।