
रचनाएं
अध्यात्म सुमेरू है
अध्यात्म सुमेरू है, महान यायावर है, गणरत्नाकर है,
ज्योतिचरण महाश्रमण, महाश्रमण ज्योतिचरण।।
नयन युगल में तेज निराला,
भक्तों की किस्मत का जो खोलते हैं ताला।
अनुत्तर संयम है, अनुत्तर उपशम है,
करुणासागर हो।।
पापभीरू व्यक्तित्व मनोहर,
समवसरण में दिव्य देशना लगती है शुभंकर।
अतिशयधारी है, धीरता भारी है,
शीतल शशिधर हो।।
ऋद्धि सिद्धि भंडार है गुरुवर,
परमानंद अखिलेश्वर की वाणी है क्षेमंकर।
आगम व्याख्याता है, समाधि प्रदाता है,
शासन नायक हो।।
स्मित मुद्रा गुलशन को खिलाए,
विनम्रता के शिरोमणि को त्रिभुवन शीष झुकाए।
यशस्वी शासन है, लब्धिधर पावन है,
खेवनहारे हो।।
लय - तू कितनी अच्छी है