
रचनाएं
आर्य अविचल हमारे
ज्ञानपुंज को, दिव्यपुंज को, वंदन बारम्बार,
शीतल शशधर गिरधर नागर, उतरे बन अवतार।
आर्य अविचल हमारे, गूंजते जय जयकारे।।
मंदिर पूजा आरती देवार्य तुम्हीं हो,
अर्चना आराधना के रूप तुम्हीं हो।
आशा तुम्हीं हो श्वास तुम्हीं हो, मधुमास श्रृंगार।।
नशामुक्ति नैतिकता से जग को जगाया,
सद्भावना सुधा से भाग्य को सजाया।
तप:पूत की शांतिदूत की, आभा अपरम्पार।।
3. देश विदेश तीर्थाटन से कीर्तिमान बनाया,
तेरापंथ शासन को शिखरों चढ़ाया।
शांति प्रदायक गण महानायक, अमृत के भंडार।।
4. अखिलेश जिनेश गुरुवर जिनवर कहाएं,
जय जय ज्योतिचरण को शीष झुकाएं।
आस्तिक-नास्तिक जो भी आया, बन गया भक्त उदार।
नेमाजी के लाल का जीकारा सुहाना,
सत्य के पुजारी का विश्व है दीवाना।
नंदनवन में भैक्षवगण में, खिला-खिला दरबार।।
बनों शतायु-रहो चिरायु, परमयशा उद्गार।।
लय - स्वर्ग से सुंदर