‘स्वस्थ जीवन का रहस्य’ कार्यशाला का आयोजन

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राजाजीनगर।

‘स्वस्थ जीवन का रहस्य’ कार्यशाला का आयोजन

तेरापंथ युवक परिषद राजाजीनगर द्वारा ‘स्वस्थ जीवन का रहस्य’ विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन साध्वी सोमयशा जी के सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथ सभा भवन में आयोजित हुआ।कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री के द्वारा नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से की गई। इसके पश्चात महिला मंडल एवं तेयुप साथियों द्वारा सुंदर गीतिकाएँ प्रस्तुत की गईं। तेयुप अध्यक्ष कमलेश चौरड़िया ने डॉ. प्रज्ञा दुधेड़िया का परिचय देते हुए सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया। साध्वी सोमयशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे जीवन में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। वात, पित्त और कफ का संतुलन स्वास्थ्य का आधार बताया गया है। यदि हम इन्हें संतुलित रखें और रसनेन्द्रिय पर संयम रखें तो अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। 
उन्होंने बताया कि चातुर्मास काल में खाद्य संयम दिवस मनाया जाता है, जो हमें यह स्मरण कराता है कि भोजन साधना के लिए होना चाहिए, न कि केवल स्वाद के लिए। उन्होंने योग, ध्यान, व्यायाम, मुद्राओं और सूर्य की किरणों से प्राण शक्ति प्राप्त करने की विधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज मानसिक तनाव के कारण अनेक रोग उत्पन्न हो रहे हैं, जिनसे हम इन क्रियाओं के माध्यम से बच सकते हैं। डॉ. प्रज्ञा दुधेड़िया ने अपने वक्तव्य में बताया कि जैन धर्म में हर समस्या का समाधान है। उन्होंने आचार्य तुलसी के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा कि “फूल बनकर मुस्कुराओ,” जहाँ फूल का अर्थ दाँत से है। दाँत केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने भोजन को चबा-चबाकर खाने की महत्ता बताई और कहा कि भोजन के बाद कुल्ला अवश्य करें, जिससे अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। इस अवसर पर डॉ. प्रज्ञा दुधेड़िया का जैन पट्ट द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष अशोक चौधरी, तेयुप अध्यक्ष कमलेश चौरड़िया, महिला मंडल अध्यक्षा ऊषा चौधरी तथा अनेक श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाएँ उपस्थित रहे।