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क्रोध जीवन का माइनस पॉइन्ट
डॉक्टर साध्वी गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में ‘Anger - Life Changer’ विषय पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वीश्री ने कहा, ”क्रोध हमारे विवेक का दुश्मन है, दुःख का अंगार है, कैंसर का आखरी स्टेज है। शान्त सहवास का सबसे बड़ा दुश्मन क्रोध है। क्रोध के अनेक कारण हैं उसमें कुछ कारण हैं- अहंकार, मन के प्रतिकूल कार्य, ईर्ष्या की आग, समझ की कमी। क्रोध मधुर संबंधों में जहर घोलने का कार्य तो करता ही है साथ में हमारे जीवन को हानि पहुंचाता है। क्रोध जीवन का माइनस पॉइन्ट है और क्षमा प्लस पॉइन्ट है। मंत्र के विशेष जप से कषाय कम किया जा सकता है।
साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि क्रोध का प्रारंभ नादानी से होता है और उसका अंत पश्चाताप से होता है। शांत वातावरण को अशान्त बनाने वाला तत्व क्रोध है। जो उपशम का मूल्य नहीं जानता वह जीने की कला भी नही जानता। क्रोध को शान्त करने लिए दीर्घश्वास व समवृत्ति श्वास प्रेक्षा का विशेष प्रयोग करवाया गया। साध्वी मेरुप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम की शुरुवात बोइनपल्ली की बहनों के स्वागत गीत से हुई। TPF के अध्यक्ष वीरेन्द्र घोषल ने स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन साध्वी दक्षप्रभा जी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संपत नौलखा द्वारा किया गया। मनोज डागा का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।