
संस्थाएं
पैंसठिया छंद अनुष्ठान
'शासनश्री' साध्वी मंजूप्रभा जी एवं 'शासनश्री' साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में पैंसठिया छंद का अनुष्ठान आयोजित हुआ। नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम की मंगल शुरुआत की गई। साध्वी मंजूप्रभा जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज मनुष्य सुख चाहता है, शांति चाहता है। शांति कैसे मिलेगी? यह केवल वर्तमान का प्रश्न नहीं, बल्कि वर्षों से पूछा जा रहा है। शांति प्राप्त करने के अनेक मार्ग और प्रयोग हैं, जिनमें से एक मार्ग है यंत्र और मंत्र की साधना। जैनों का एक सुप्रसिद्ध मंत्र है पैंसठिया छंद। साध्वी कुंथुश्री जी ने बताया कि पैंसठिया छंद में 1 से लेकर 25 तक अंक होते हैं, जिनमें 24 अंक तीर्थंकर के और 25वां अंक इष्ट की स्थापना के रूप में स्थापित किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ—कहीं से भी गणना करने पर योगफल 65 ही आता है, इसलिए इसका नाम ‘पैंसठिया’ प्रसिद्ध है। यह एक सुरक्षा कवच है। ग्रहों की शांति के लिए प्रतिदिन 7, 9 या 11 बार इसका पाठ करना चाहिए। साध्वी गुरुयशा जी और साध्वी जयंत प्रभा जी ने मंत्रोच्चारण किया।