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'महामंत्र नवकार करता भवपार' विषय पर कार्यशाला सम्पन्न
असांप्रदायिक, आध्यात्मिक और रहस्यपूर्ण शक्तियों से युक्त नवकार महामंत्र की महिमा पर विशेष कार्यशाला का आयोजन कालू कल्याण कुंज, गंगापुर में 'महामंत्र नवकार करता भवपार' विषय पर किया गया। इस अवसर पर मुनि प्रसन्न कुमार जी ने नवकार महामंत्र की अद्वितीय महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने इसे असांप्रदायिक एवं प्रभावशाली आध्यात्मिक मंत्र बताते हुए कहा कि यह किसी विशेष व्यक्ति, संप्रदाय या मत से नहीं जुड़ा है, बल्कि इसमें केवल पंच परमेष्ठियों — अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु — का वंदन समाहित है।
मुनिश्री ने कहा कि त्यागी और तपस्वी महापुरुषों से ओतप्रोत यह मंत्र साधना से शक्ति-संपन्न बनता जाता है। ज्यों-ज्यों इसकी साधना गहराती है, त्यों-त्यों इसका प्रभाव भी बढ़ता है। इसके पवित्र परमाणुओं का आभामंडल साधक के चारों ओर एक अत्यंत शक्तिशाली और अभेद्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है। उन्होंने आगे कहा कि नवकार महामंत्र की शब्द-रचना विलक्षण है और इसके प्रत्येक अक्षर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। यह मंत्र आत्मा के शत्रु ‘कर्मों’ का विनाश करने की शक्ति रखता है और साधक को आत्म-शुद्धि की ओर अग्रसर करता है।
मुनिश्री ने कहा — 'नवकार महामंत्र किसी जाति, भाषा या वर्ग की सीमाओं में नहीं बंधा है। चाहे कोई शिक्षित हो या अशिक्षित, यदि वह श्रद्धा और भक्ति से इसका जाप करता है, तो उसे अद्भुत लाभ अवश्य प्राप्त होते हैं।' उन्होंने अतीत से लेकर वर्तमान तक इस महामंत्र के प्रभाव से घटित अनेक चमत्कारी अनुभवों का उल्लेख करते हुए बताया कि इसके नियमित जाप से साधकों को आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और जीवन में स्पष्टता प्राप्त होती है। इस कार्यशाला का उद्देश्य जनमानस में नवकार महामंत्र के प्रति श्रद्धा, समझ और साधना की भावना को जागृत करना था।