तपस्या से बनती है आत्मा आभामंडित और ऊर्जा संपन्न

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बालोतरा।

तपस्या से बनती है आत्मा आभामंडित और ऊर्जा संपन्न

साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन अमृत सभागार में तपस्वियों का तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित हुआ। राजेश बाफना ने बताया इस चातुर्मास में आत्म अवलोकन का सुनहरा अवसर मिला जिसमें अनिता जीरावला, संगीता जीरावला, मुदित गांधी मेहता ने पन्द्रह की तपस्या की। इस अवसर पर अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी तपस्या का प्रत्याख्यान किया। साध्वीश्री ने अपने उद्बोधन में कहा - मोक्ष-मार्ग के चार साधन हैं - ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप। तप की महत्ता को हर धर्म-दर्शन में व्याख्यायित किया गया है, पर जैन धर्म में तप का अतिरिक्त प्रभाव है। तपस्या जैन-धर्म का प्राण तत्त्व है। तपस्या वह ज्योति है, जिससे आत्मा प्रकाशित होती है। तपस्या वह ऊर्जा है, जिससे जीवन ऊर्जामय बनता है तपस्या वह रक्षा कवच है जो विघ्न बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। तपस्या वह उज्ज्वल करणी है, जो शिवरमणी का पथ प्रशस्त करती है। साध्वीश्री ने कहा-चौमासे में विशेषकर श्रावण-भाद्रव मास में जैन समाज में तपस्या की बहार आ जाती है। बालोतरा में भी तप की नई बहार आई है। अच्छी बड़ी-बड़ी तपस्याएं हो रही है।
यह सब पूज्य गुरुदेव की ऊर्जा एवं आशीर्वाद से ही संभव है। तपस्वियों ने अपने सुदृढ़ मनोबल से तप के द्वारा आत्मा को भावित किया है एवं आभामंडल को आभामंडित किया है। मासखमण की प्रेरणा देते हुए साध्वीश्री ने कहा कि आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी का अवसर है, बालोतरा वासी नव इतिहास रचाएं, ऐसी हमारी भावना है। हमें विश्वास है गुरुकृपा से हमारी भावना फलवान बनेगी। साध्वी कर्णिकाश्रीजी, डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी, साध्वी समत्वयशाजी एवं साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने तपस्वियों की अनुमोदना में गीत का संगान कर तपस्वियों के उत्साह को वृद्विंगत किया। सभा अध्यक्ष महेन्द्र वेदमुथा, अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा, गगन जीरावला, ध्रुवी जीरावला, सुमन जीरावला, अक्षिता मांडोत ने अपने वक्तव्य से तप की अनुमोदना की। सभा द्वारा तप के द्वारा तप का सम्मान, आह्वान किए जाने पर अनेक भाई-बहनों ने तप के संकल्प के साथ तपस्वियों की तप अनुमोदना की। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री प्रकाश वेदमूथा ने किया।