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51 की तपस्या का अभिनन्दन समारोह
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में तेरापंथ भवन, गंगाशहर में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में तप अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। लाभचन्द आंचलिया पुत्र जेठमल - किरण देवी आंचलिया के 51 दिनों की तपस्या की अनुमोदना में बोलते हुए मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि तपस्या उच्च मनोबल से ही संभव है। तपस्या से आत्मा मोक्षगामी बनती है। पाप कर्मों का क्षय तपस्या से ही संभव है। तपस्या का लक्ष्य आत्मकल्याण होना चाहिए। तपस्या से रोगों का शमन होता है। मुनि श्रेयांस कुमार जी का स्वास्थ्य व बहिन तारादेवी बैद का उदाहरण अभी वर्तमान के हैं। मुनिश्री ने कहा - भोजन से ज्यादा भजन को महत्व देना चाहिए।
भोजन तो अनेक भवों में, अनंतकाल से करते आएं हैं। भजन केवल मनुष्य जन्म में ही संभव है। लाभचन्द ने मुझे कहा था कि आपके चातुर्मास में मैं 51 दिवस की तपस्या करूंगा। श्रावक लाभचन्द ने अपना संकल्प पूरा किया। इससे पूर्व श्रावक सुरेन्द्र भूरा ने भी मासखमण करके अपनी कही हुई बात को पूरा किया। मुनि श्री ने 51 दिवस की तपस्या पर नई गीतिका जोड़कर संगान किया एवं फरमाया कि गंगाशहर का सौभाग्य है कि यहां वर्षों से साध्वियों का सेवाकेन्द्र है लोगों को सतत सेवा दर्शन प्रवचन पात्रदान का लाभ मिलता रहता है। सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी विशदप्रज्ञा जी एवं साध्वी लब्धियशा जी का भी सतत श्रम लोगों को जागरूक बना रहा है। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने तपस्या के अवसर पर मुनि सुमति कुमार जी के द्वारा रचित गीतिका का संगान किया। इस अवसर पर मुनि रश्मिकुमारजी, मुनि आदित्य कुमार जी के उन्नत भाव प्राप्त हुए। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी से प्राप्त संदेश का वाचन सभा के पूर्व अध्यक्ष अमर चन्द सोनी ने किया।
तेरापंथ सभा की ओर से देवेन्द्र डागा ने अपने विचार प्रस्तुत किये। जैन लुणकरण छाजेड़, अमरचन्द सोनी ,गणेशमल बोथरा नवरतन बोथरा जतनलाल संचेती आदि सभा के, युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने तपस्वी लाभचन्द का साहित्य, पताका व अभिनन्दन पत्र से तप की अनुमोदना की। मंजूदेवी आंचलिया ने पारिवारिक जनों के साथ गीतिका का संगान कर समा बांध दिया। इस अवसर पर सम्पत देवी भंसाली ने 28, पवन छाजेड़ ने 18, नीलम बोथरा ने 15, तारा देवी बैद ने 15 आदि अनेकों तपस्याओं का प्रत्याख्यान हुआ।