
रचनाएं
इतिहास गण में रचकर
सुदीर्घजीवी स्वर्ग सिधारया, गावां मंगलकामना।
ओ पाल्यो संयम सांतरो, देवां शुभकामना।।
1. उतरयो देव विमान धरा पर, थांने लेवण आयो,
ओ मृत्यु मोच्छव थांरो ओ, नई प्रेरणा लायो।।
2. सिंह वृत्ति स्यूं संयम पाल्यो, संथारो चौविहार हो,
हो समता भाव स्यूं करग्या थे, आत्मोद्धार हो।।
3. जागरुकता पल-पल देखी, चढग्या श्रेणी भावां री,
मोह ममता छोड़ दीन्हि, सतियां और काया री।।
4. गुरुमुखी ही सदा रह्या थे, फलगी अंतिम साधना,
आत्मा रा कारज थे सारया, कर अंतिम आराधना।।
5. इतिहास गण में रचकर, चाल्या मुक्तिनगर रे द्वार,
थांरी सन्निधि में देख्यां म्हें कई होता चमत्कार।।
6. कालू रा भाग्य खिल्या जो, थारो पावस पायो,
धाम बणग्यो तेरापंथ रो, जन-जन दौड्यो आयो।।
लय - म्हारे सांस- सांस में