नव इतिहास रचाया

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साध्वी कनकरेखा

नव इतिहास रचाया

साध्वी बिदामा शासनश्रीजी जीवन धन्य बनाया।
दशक ग्यारहवें में अनशन कर गण का सुयश बढाया।
बोलो अनशन की जयकार, बोलो जिनशासन जयकार।।
1. गुरूवर तुलसी करकमलों से तुमने दीक्षा पाई,
चारित्रिक निर्मलता तेरी सबको खूब सुहाई।
भैक्षव शासन के गौरव को शिखरों सदा चढ़ाया।।
2. सहज-सरलता जागरूकता सेवा का गुण भारी,
मृदुभाषी स्वाध्याय शीलता गण-गणपति इकतारी।
सुदीर्घजीवी शासनश्रीजी कीर्ति ध्वज फहराया।।
3. श्रद्धा, विनय, समर्पण से त्रय गुरूवर साया-पाया,
ऋजुता, मृदुता, वत्सलता से सबका मन है लुभाया।
सात शताधिक वर्ष सुहाने नव इतिहास रचाया।।
4. शांत स्वभावी उज्जवलप्रभाजी, सतियां सेवाभावी,
स्वावलंबी समता की मूरत साध्वी बिदामांजी।
श्रद्धालु श्रावक कालु के तीर्थधाम सुहाया।।
लय - माईन माईन