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पंचगंठी पंचमेष्ठी आत्म रक्षा कवच अनुष्ठान का आयोजन
प्रोफेसर साध्वी मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में जैन प्रभावक मंत्रों के साथ पंचगंठी पंचमेष्ठी आत्मरक्षा कवच अनुष्ठान का आयोजन हुआ। मंत्राधिराज नमस्कार महामंत्र पर आधारित इस दिव्य अनुष्ठान में हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने सहभागिता की। साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जैन परंपरा का सर्वोत्तम महामंत्र ‘नमस्कार महामंत्र’ शक्ति संप्रेषण करने वाला, ऊर्जा-संपर्क स्थापित करने वाली विशिष्ट साधना है। इसकी आराधना से व्यक्ति आत्मिक शक्ति, आनंद और शांति प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार एक सिक्योरिटी गार्ड हमारी रक्षा करता है, उसी प्रकार यह महामंत्र कवच भी हमारी सुरक्षा करता है और विघ्नों का निवारण करता है। आवश्यकता है कि इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना में अपनाया जाए। उन्होंने प्रेरणा देते हुए कहा कि प्रत्येक जैन धर्मावलंबी को इस मंत्र की सतत साधना करनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी अमूल्य विरासत है।
जैन इतिहास में इस महामंत्र से जुड़े अनेक चमत्कारिक प्रसंग मिलते हैं, जो पाँच रंगों से संबद्ध हैं। यह महामंत्र औषधि की भांति रोगों का भी नाश करता है। अनुष्ठान की शुरुआत साध्वी मंगलप्रज्ञा जी द्वारा रचित ‘महामंत्र स्तुति’ के साथ हुई, जिसे साध्वी अतुलयशा जी, साध्वी डॉ. राजुलप्रभा जी, साध्वी डॉ. चैतन्यप्रभा जी और साध्वी डॉ. शौर्यप्रभा जी ने प्रस्तुत किया। तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में आयोजित यह अनुष्ठान अत्यंत प्रभावशाली रहा। अनुष्ठान से पूर्व साध्वी डॉ. राजुलप्रभा जी ने मंगलभावनाओं का प्रयोग करवाया तथा साध्वी डॉ. शौर्यप्रभा जी ने महावीर वाणी का रसास्वादन करवाया।