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तप के बिना संभव नहीं है आत्म-सिद्धि
डॉ. मुनि पुलकित कुमारजी के सान्निध्य में, मधुबाला राजकुमार सेठिया की 27 दिवसीय तपस्या के उपलक्ष्य में मासखमण तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गांधीनगर (बेंगलुरु) द्वारा तेरापंथ सभा भवन में किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा कि जैन धर्म में तपस्या का विशेष महत्व है। चाहे तीर्थंकर हों, साधु हों या सामान्य गृहस्थ श्रावक—सभी के लिए तप आवश्यक माना गया है। तप के बिना आत्म-सिद्धि संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अनित्य भावना का चिंतन करने वाला व्यक्ति धर्म में आगे बढ़ता है और कठिन से कठिन तपस्या भी सहजता से कर सकता है। तपस्या उत्साह और दृढ़ मनोबल के बिना संभव नहीं है। मधुबाला सेठिया ने उच्च मनोबल का परिचय देते हुए गुरु-आशीर्वाद से एक माह की कठिन तपस्या पूर्ण की है। मुनिश्री ने तपस्विनी बहन के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना व्यक्त की।
'नचिकेता' मुनि आदित्य कुमारजी ने कहा कि मुनिश्री की प्रेरणा से इस वर्ष गांधीनगर तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक धर्मोत्सव के अंतर्गत तपस्या का विशेष ठाट देखने को मिल रहा है। मुनिश्री ने गीत के माध्यम से तप अनुमोदना व्यक्त की। कार्यक्रम में सेठिया परिवार की बहनों ने मंगलगीत प्रस्तुत किए। भव्या सेठिया, दिलखुश बाफना एवं प्रवीण रायसोनी ने तपस्विनी बहन की तप अनुमोदना में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। तेरापंथ सभा द्वारा तपस्विनी बहन का पचरंगी दुपट्टा एवं साहित्य देकर सम्मान किया गया। सभा मंत्री विनोद छाजेड़ ने कार्यक्रम का संचालन किया।