मन की प्रसन्नता को बढ़ाने वाला होता है संयम का भाव

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गांधीनगर, बेंगलुरु ।

मन की प्रसन्नता को बढ़ाने वाला होता है संयम का भाव

डॉ. मुनि पुलकित कुमारजी के सान्निध्य में दीक्षार्थी मुमुक्षु प्रीत कोठारी का अभिनंदन कार्यक्रम जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा भवन, गांधीनगर में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा कि संयम का भाव मन की प्रसन्नता को बढ़ाने वाला होता है। जैन मुनि दीक्षा ग्रहण करने का अर्थ है – अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह रूपी महाव्रतों को जीवनभर के लिए स्वीकार करना। साधु जीवन का तात्पर्य है सुविधा का त्याग और अध्यात्म सुख की प्राप्ति। मुनिश्री ने गीतिका के माध्यम से मुमुक्षु के प्रति मंगलकामना करते हुए कहा – जिस सिंहवृत्ति से त्यागी जीवन की शुरुआत करने जा रहे हो, उसी उच्च भावना से गुरु दृष्टि की आराधना करना। गुरु की दृष्टि में ही शिष्य की सृष्टि होती है। जन्म-जन्मांतरों के शुभकर्मों से ही व्यक्ति मंगलमय आचरण करते हुए संयममय जीवन जीने का संकल्प करता है। मुनिश्री ने मुमुक्षु की माता संगीता कोठारी एवं पिता नरेश कोठारी को साधुवाद दिया कि इकलौते पुत्र होते हुए भी उन्होंने मुनि दीक्षा की आज्ञा प्रदान की। यह समाज के लिए उत्तम आदर्श उदाहरण है। 'नचिकेता' मुनि आदित्य कुमारजी ने भी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री के नमस्कार महामंत्र से हुआ। ज्ञानशाला दिवस के उपलक्ष्य में ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीतिका प्रस्तुत की। शेषाद्रीपुरम एवं ओकलीपुरम ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थी बच्चों ने दीक्षार्थी भाई के लिए मंगलभावना से संवाद प्रस्तुत किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों तथा रामसिंह गुड़ा की बहनों ने गीत प्रस्तुत किए। महिला मंडल मंत्री विजेता रायसोनी, तेरापंथ सभा अध्यक्ष पारसमल भंसाली तथा रामसिंह गुड़ा सभा अध्यक्ष गौतम गादिया ने स्वागत भाषण दिया। भंवरलाल गादिया ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। जुगराज श्रीश्रीमाल ने जानकारी दी कि ज्ञानशाला गांधीनगर, बैंगलोर से प्रीत कोठारी के रूप में संभवतः यह 23वीं दीक्षा तेरापंथ धर्मसंघ में होने जा रही है। तेरापंथ सभा के कार्यकर्ताओं ने भी समाज की ओर से मुमुक्षु प्रीत का अभिनंदन किया। कोठारी परिवार से नरेश कोठारी, लब्धि, अर्णव, जिया, सयानी धारीवाल एवं करुणा कोठारी ने मंगलभावना व्यक्त की। पारिवारिक बहनों ने गीत प्रस्तुत किया। खुशी, ख्याति एवं दीक्षित ने भी अपने विचार रखे।
दीक्षार्थी प्रीत ने सभी पारिवारिक जनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दादा-दादी और मम्मी-पापा के धार्मिक संस्कार ही आज मुझे यहां तक लेकर आए हैं। मैं संकल्प करता हूं कि आगे गुरु इंगित की आराधना करते हुए संयम जीवन जिऊंगा। मैं मुनि पुलकित कुमारजी का आभारी हूं और कामना करता हूं कि मुनिश्री का आशीर्वाद सदा मेरे ऊपर बना रहे। कार्यक्रम में दीक्षार्थी का जीवन-परिचय दर्शाने वाली वीडियो भी प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री विनोद छाजेड़ ने किया।