संपत्ति के साथ दें संस्कारों की धरोहर

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सिकंदराबाद।

संपत्ति के साथ दें संस्कारों की धरोहर

तेरापंथ भवन, डीवी कॉलोनी (सिकंदराबाद) में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, सिकंदराबाद के तत्वावधान में साध्वी डॉ. गवेषणा श्रीजी के सान्निध्य में हुआ। इस दिवस का आगाज़ हैदराबाद ज्ञानशाला परिवार ने संजीवैय्या पार्क में किया, जहां ज्ञानार्थियों ने “जल ही जीवन है” विषय पर आधारित नुक्कड़ नाटिका प्रस्तुत की। मारडपल्ली, बोवनपल्ली और कारखाना ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा दी गई इस शानदार प्रस्तुति को सुबह की सैर पर आए नागरिकों ने खूब सराहा तथा इसे देशभर में प्रसारित करने की अनुशंसा की। नाटिका के पश्चात ज्ञानशाला परिवार एक भव्य जागरूकता रैली में परिवर्तित हुआ, जो नेकलेस रोड होते हुए डीवी कॉलोनी तेरापंथ भवन पहुंची। रैली एवं कार्यक्रम में सभा, तेयुप, महिला मंडल, किशोर मंडल और प्रशिक्षिकाओं ने पूर्ण भागीदारी निभाई। साध्वी मेरूप्रभाजी व साध्वी दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की, वहीं साध्वी मयंकप्रभाजी ने प्रेरक कहानी के माध्यम से ज्ञानशाला की आवश्यकता स्पष्ट की। साध्वी डॉ. गवेषणा श्रीजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि ज्ञानशाला आज की जीवनशैली में संस्कार निर्माण का अनमोल साधन है। उन्होंने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा – “इंजीनियर, वकील या डॉक्टर की भूल छिप सकती है, पर संस्कारहीन परिवार की भूल पूरे समाज को प्रभावित करती है। इसलिए उत्तम माता-पिता वे हैं जो बच्चों को जन्म व संपत्ति के साथ संस्कारों की धरोहर भी देते हैं।”
मंचीय कार्यक्रम का आरंभ सभा अध्यक्ष सुशील संचेती के स्वागत भाषण से हुआ। महासभा प्रकोष्ठ द्वारा इस प्रवृत्ति को गुरुदेव तुलसी की महान देन बताया गया। आंचलिक संयोजक सीमा दस्साणी ने केंद्र स्तर की योजनाओं का परिचय कराया एवं कन्या संस्कार शिविर की रिपोर्ट प्रस्तुत की। क्षेत्रीय संयोजक संगीता गोलछा ने वार्षिक रिपोर्ट दी, जिसे प्रशिक्षिकाओं व ज्ञानार्थियों ने संगीतमय प्रस्तुति के माध्यम से रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। धर्म परिषद् के समक्ष विभिन्न ज्ञानशालाओं ने नाटिका प्रस्तुत की। पूर्व ज्ञानार्थी हितांश बैद, निष्ठा नाहटा और सिद्धि पोकरणा ने अपने अनुभव साझा किए, वहीं अभिभावक रेणु बैंगाणी और रजत बैद ने ज्ञानशाला के प्रति अपने भाव व्यक्त किए।