व्यक्तित्व निर्माण और जीवन मूल्यों की सुदृढ़ नींव है ज्ञानशाला

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शाहदरा, दिल्ली।

व्यक्तित्व निर्माण और जीवन मूल्यों की सुदृढ़ नींव है ज्ञानशाला

तेरापंथ महासभा के उपक्रम ज्ञानशाला के अंतर्गत इस वर्ष पूरे पूर्वी दिल्ली क्षेत्र की ज्ञानशालाओं का ज्ञानशाला दिवस ओसवाल भवन, विवेक विहार में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। यह अवसर ज्ञानशाला के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक बहुश्रुत मुनि उदित कुमार जी के सान्निध्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सूर्यनगर, लक्ष्मीनगर, गांधीनगर, वसुंधरा और ओसवाल भवन सहित विभिन्न ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थियों ने नाटक, गीत और कविताओं जैसी आकर्षक प्रस्तुतियों के माध्यम से धार्मिक ज्ञान, संस्कार और परंपराओं का जीवंत चित्रण किया। नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा ज्ञानशाला गीत के मंगल संगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
अपने प्रवचन में मुनि उदितकुमार जी ने ज्ञानशाला में आने वाले और न आने वाले विद्यार्थियों के तुलनात्मक संस्कारों का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि जो बच्चे नियमित रूप से ज्ञानशाला आते हैं, उनके विचार, व्यवहार और बोलचाल में सकारात्मकता, अनुशासन और संस्कार झलकते हैं, जबकि जो इससे वंचित रहते हैं, उनमें यह गहराई और संतुलन कम दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि ज्ञानशाला केवल धार्मिक शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण और जीवन मूल्यों की सुदृढ़ नींव है। मुनिश्री ने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे बच्चों को नियमित रूप से ज्ञानशाला भेजें, ताकि आने वाली पीढ़ी में संस्कारों की ज्योति प्रज्ज्वलित रह सके।
मुनि रम्य कुमार जी का सामयिक वक्तव्य भी हुआ। दिल्ली ज्ञानशाला की संचालक संस्था तेरापंथ सभा, दिल्ली की ओर से रंजीत भंसाली, राष्ट्रीय ज्ञानशाला परामर्शिका सरोज छाजेड़ और तेरापंथ सभा शाहदरा के अध्यक्ष राजेंद्र सिंघी ने अपनी प्रासंगिक अभिव्यक्तियाँ प्रस्तुत कीं। समाज के गणमान्य सदस्यों की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों की सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन निशा चौरडिया ने किया।