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‘तब से अब’ कार्यक्रम समायोजित
'शासनश्री' साध्वी कंचनप्रभा जी के सान्निध्य में तथा 'शासनश्री' साध्वी मंजुरेखा जी के निर्देशन में भिक्षु चेतना वर्ष के उपलक्ष्य में “तब से अब” कार्यक्रम का आयोजन हुआ। 'शासनश्री' साध्वी मंजुरेखा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य भिक्षु का जीवन वैराग्य का खजाना था। उन्होंने हर परिस्थिति को समता से सहन किया और कठिन कसौटियों के बीच भी संयम को सुरक्षित रखा। उस समय इतने विशाल साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविकाएं कहां थे, जबकि आज बदलते परिवेश में चारों ओर विकास ही विकास दिखाई देता है।
साध्वी उदितप्रभा जी ने कहा कि स्वामीजी का संयमबल ही तेरापंथ धर्मसंघ का हृदय है। साध्वी निर्भयप्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मोक्षधर्म के विशुद्ध स्वरूप को ही तेरापंथ कहा जाता है। साध्वी चेलनाश्री जी ने कहा कि स्वामीजी की तीक्ष्ण बुद्धिबल ही वर्तमान युग की महान उपलब्धि है। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा, युवक परिषद और महिला मंडल घाटकोपर की सक्रिय सहभागिता रही।