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अनुशासन समाज को जीने की राह दिखाती है
मुनि विनीत कुमार जी ने तेरापंथ भवन में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य श्री भिक्षु की अनुशासन शैली श्रावक समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने समझाया कि अपने को जीतने से ही सबको जीता जा सकता है। अपने को जीतने का अर्थ है मन और उसकी चंचल वृत्तियों पर नियंत्रण। मन को वश में करना घोड़े को वश में करने से भी कठिन कार्य है, और इसके लिए संयम व तप की साधना आवश्यक है। आचार्य श्री भिक्षु ने अपने जीवन में अनुशासन के अनेक प्रयोग किए और संयम, तपस्या, गुरु-शिष्य परंपरा, संघ बद्ध जीवन और आत्म-विकास पर विशेष बल दिया। उनकी शिक्षाओं ने श्रावकों को संतुलित, अर्थपूर्ण और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा दी।
मुनि पुनीत कुमार जी ने अनुशासन के लाभ बताते हुए कहा कि यह जीवन में नियमितता, आत्म-नियंत्रण, उत्पादकता और लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सहायक है। उन्होंने अनुशासन के लिए नियमित दिनचर्या, लक्ष्य निर्धारण, आत्म-नियंत्रण और सतत अभ्यास को आवश्यक बताया। अनुशासन से आत्मविश्वास बढ़ता है, सफलता मिलती है और जीवन में संतोष की प्राप्ति होती है। आचार्य श्री भिक्षु का जीवन इस सत्य का उदाहरण है कि अनुशासन व्यक्ति को सुंदर और सफल जीवन की ओर अग्रसर करता है। श्रावण त्रयोदशी के अवसर पर तेरापंथ भवन में सामूहिक आयंबिल का आयोजन हुआ जिसमें 80 तपस्वियों ने आयंबिल का तप साधा।