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संस्कारों के निर्माण के लिए ज्ञानशाला का उपक्रम सराहनीय
आचार्य महाप्रज्ञ मार्ग स्थित स्थानीय तेरापंथ भवन में 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानशाला प्रशिक्षिका अनिता जैन सहित प्रशिक्षिकाओं द्वारा ज्ञानशाला की गतिविधियों पर आधारित सुंदर गीतिका के माध्यम से मंगलाचरण से हुई। साध्वी जिनरेखा जी ने अपने प्रवचन में कहा कि बच्चों के संस्कार उनके व्यवहार से प्रकट होते हैं, इसलिए संस्कार निर्माण के लिए ज्ञानशाला अत्यंत महत्वपूर्ण उपक्रम है। यहां बच्चों में सद्संस्कारों का संचार होता है। उन्होंने कहा कि जैसा परिवेश मिलेगा, वैसे ही संस्कार विकसित होंगे। बच्चे परिवार, समाज और राष्ट्र का भविष्य होते हैं।
इन्हीं बच्चों द्वारा राष्ट्र की संस्कृति, समाज की सभ्यता और परिवार के मौलिक गुणों का संरक्षण होगा। साध्वी मधुरयशा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी द्वारा स्थापित ज्ञानशाला का अवदान आज राष्ट्र निर्माण की नींव का कार्य कर रहा है। समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने और प्रगतिशील समाज के निर्माण के लिए बच्चों की नींव मजबूत होना आवश्यक है। साध्वीवृंद द्वारा सामूहिक प्रेरणादायी गीतिका की प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला के बच्चों ने जैन धर्म पर आधारित व्यवहारपरक सुंदर नाटिका प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा द्वारा ज्ञानार्थियों को पारितोषिक प्रदान किए गए। महिला मंडल अध्यक्ष एवं प्रशिक्षिका अनिता जैन ने ज्ञानशाला की जानकारी दी। तेरापंथ युवक परिषद के मनोज चौपड़ा ने बताया कि "चक्र घुमाओ, भाग्य आजमाओ" पर आधारित एक रोचक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विजेताओं को सभा द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मनोज चौपड़ा ने किया।