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ज्ञानशाला में होता है मूल्यों और सद्गुणों का बीजारोपण
तेरापंथ भवन भिवानी में 'शासनश्री' साध्वी तिलकश्री जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नवकार मंत्र के उच्चारण से हुआ। तत्पश्चात भिक्षु अष्टकम का संगान किया गया, जिसमें सुनीता नाहटा ने मधुर प्रस्तुति दी। इसके पश्चात ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने सामूहिक रूप से “अर्हम-अर्हम की वंदना” गीत का संगान कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। साध्वी तिलकश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के समय में बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ संस्कारों का होना भी अनिवार्य है। ज्ञानशाला वह स्थान है जहां बच्चों में नैतिक मूल्यों और सद्गुणों का बीजारोपण होता है। उन्होंने प्रशिक्षिकाओं के परिश्रम की सराहना करते हुए अभिभावकों से भी बच्चों के प्रति जागरूक रहने का आह्वान किया। साध्वी महिमाश्री जी ने भी ज्ञानशाला को जीवन निर्माण की प्रयोगशाला बताते हुए कहा कि प्रत्येक अभिभावक का दायित्व है कि वे अपने बच्चों को संस्कारित बनाने के लिए नियमित रूप से ज्ञानशाला भेजें।
सभा अध्यक्ष सन्मति जैन सहित वरिष्ठ श्रावक-श्राविकाओं ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन किया। ज्ञानशाला प्रभारी विजय जैन, सह-संयोजिका विनीता जैन, उपासक रमेश जैन, उपासिका मधु जैन व अन्य गणमान्यजनों ने अपने विचार रखे। ज्ञानार्थियों ने विविध प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को जीवंत बनाया – धार्मिक गीत पर नृत्य, “सपनों को सच करती संस्कार शाला – ज्ञानशाला” विषय पर नाटिका और छोटे-छोटे बच्चों द्वारा लोग्गस पाठ, 25 बोल, नमस्कार महामंत्र व वंदन पाठ का मधुर वाचन विशेष आकर्षण रहा। प्रशिक्षिकाओं द्वारा प्रस्तुत गीतिका ने भी समां बांधा। मंच संचालन मुख्य प्रशिक्षिका रेनू नाहटा एवं शिखा जैन ने संयोजित ढंग से किया।