
संस्थाएं
प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन
सिरियारी। आचार्य श्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान एवं प्रेक्षा फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रेक्षाध्यान शिविर का शुभारंभ मुनि धर्मेशकुमार जी के मार्गदर्शन में हुआ। शिविर का प्रारंभ प्रेक्षाध्यान गीत के सामूहिक संगान से हुआ। तत्पश्चात् मुनि अतुलकुमार जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “मानसिक एकाग्रता के अभाव में भविष्य असुरक्षित हो जाता है। हमारे मन में करोड़ों विचारों का संग्रह है, जिन्हें ध्यान साधना द्वारा नियंत्रित और समाप्त किया जा सकता है। अतः शिविर में आने वाले साधक अपने मन को साधने का प्रयास करें।” मुनि चैतन्यकुमारजी 'अमन' ने अपने उद्बोधन में कहा कि “ध्यान साधना वृत्ति-परिष्कार का अमोघ साधन है। ध्यान से मानव का चिंतन बदलता है और चिंतन बदलने पर जीवन में रूपान्तरण घटित होता है। आज समाज में जो छिपाव-दुराव और कपट की प्रवृत्ति बढ़ रही है, वह अंततः मतभेद और भटकाव का कारण बनती है। ध्यान साधना जीवन को सरल बनाने का श्रेष्ठ उपाय है।” मुनि धर्मेशकुमार जी ने साधकों को उपसम्पदा प्रदान कराते हुए कहा कि “उपसम्पदा ध्यान साधना की प्रथम दीक्षा है, जिससे आत्म-साधना का मार्ग प्रशस्त होता है। साधक मानसिक रूप से साधना के प्रति समर्पित हो जाता है। उसे मितभाषण और आहार संयम का अभ्यास करना चाहिए। समर्पित भाव से की गई साधना सदैव सुखद परिणाम देती है।” अष्ट-दिवसीय शिविर में विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 20 साधक उपस्थित हुए। शिविर के दौरान साधकों को योगासन, प्राणायाम तथा ध्यान के विविध प्रयोग करवाए गए। मुकुल भाई ने संचालन का दायित्व निभाते हुए अपने विचार रखे। व्यवस्थापक हनुमान बरड़िया ने जानकारी प्रदान करते हुए आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर संस्थान के व्यवस्थापक महावीरसिंह, बसंत कुमार, श्यामसुन्दर सहित अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।