त्याग, वैराग्य और संयम का अभिनंदन

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यशवंतपुर, बेंगलुरु।

त्याग, वैराग्य और संयम का अभिनंदन

साध्वी सोमयशाजी के सान्निध्य में दीक्षार्थियों का अभिनंदन समारोह एवं प्रवचन तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। साध्वीश्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह अभिनंदन त्याग, वैराग्य और संयम का अभिनंदन है। यही त्याग और संयम आत्मा के प्रकाश को उजागर करते हैं। आत्मा के प्रकाश से ही सम्यक्त्व का बीज अंकुरित होता है। जितना वैराग्य पुष्ट होता है, उतना ही यह बीज पल्लवित होता है। आज के भौतिक युग में सम्यक्त्व की प्राप्ति ही वैराग्य को पुष्ट बनाती है। त्याग और वैराग्य के पथ पर बढ़ना बहुत बड़ी साधना है। साध्वी डॉ. सरलयशाजी एवं साध्वी ऋषिप्रभाजी ने दीक्षार्थियों की संयम यात्रा के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त कीं और श्रावकों से आह्वान किया कि प्रत्येक व्यक्ति को नित्य यह भावना करनी चाहिए कि वह भी संयम पथ का राही बने। कार्यक्रम में महिला मंडल की बहनों द्वारा मंगल भावना गीत का संगान किया गया।
तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष विजय राज बरडिया ने स्वागत करते हुए मुमुक्षुओं के आध्यात्मिक भविष्य की मंगल भावना व्यक्त की। महिला मंडल की निवर्तमान अध्यक्ष मीना दक ने कहा कि मुमुक्षु वैराग्य के रंग से जीवन को संवारने वाले कलाकार हैं। मुमुक्षु प्रेक्षा ने "हर पल जीवन में एक मौका है" गीत के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए। मुमुक्षु प्रीत ने कहा कि इस संसार में व्यक्ति अकेला आता है और अकेला ही जाता है, परंतु जो व्यक्ति अपने जीवन में धर्म का आचरण करता है वही संयम पथ पर अग्रसर हो सकता है। मुमुक्षु प्रीत का परिचय सभा उपाध्यक्ष कुंदन गन्ना ने तथा मुमुक्षु प्रेक्षा का परिचय महिला मंडल अध्यक्ष रेखा पितलिया ने दिया। तुलसी चेतना केन्द्र के अध्यक्ष मदन बोराणा ने दीक्षार्थियों की निर्विघ्न संयम यात्रा की मंगलकामना की। गगन बरडिया ने गीत प्रस्तुत किया तथा उपासक महेंद्र दक और गजेंद्र कोचर ने विचार रखे। तेयुप मंत्री अभिषेक पोखरना ने आभार प्रकट किया। सभा मंत्री अनिल दक ने संचालन कर दीक्षार्थियों से जुड़े संस्मरण साझा किए। साहित्य एवं जैन पट्ट द्वारा मुमुक्षु भाई-बहन का अभिनंदन सभाध्यक्ष सुरेश बरडिया, पदाधिकारीगण, पूर्व अध्यक्ष प्रकाश बाबेल, महिला मंडल पदाधिकारी, तेयुप पदाधिकारी, कैलाश बोराणा, सुरेश पितलिया एवं चातुर्मास प्रायोजक बोराणा परिवार ने किया।