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ज्ञानार्थी बनें नम्र, शालीन और लायक
तेरापंथ भवन में मुनि हिमांशु कुमार जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला दिवस का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नन्हे-मुन्ने बालकों द्वारा नमस्कार महामंत्र की सुंदर मुद्रा सहित नृत्य प्रस्तुति से हुआ। ज्ञानशाला प्रभारी उपासक धनराज लोढ़ा ने स्वागत-अभिनंदन करते हुए कहा कि ज्ञानशाला बच्चों को केवल बुनियादी शिक्षा ही नहीं, बल्कि नैतिक मूल्य, अनुशासन एवं सामाजिक उत्तरदायित्व का भी बोध कराती है। बालकों ने 25 बोल पर आधारित आकर्षक लघु नाटिका प्रस्तुत की, वहीं बड़े बच्चों ने Usage of Mobile विषय पर प्रभावशाली प्रस्तुति दी। मुनि हेमंत कुमार जी ने प्रेरक उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि बच्चों को ज्ञानशाला भेजना क्यों आवश्यक है— इससे उनका शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास होता है।
मुनि श्री हिमांशु कुमार जी ने ज्ञानशाला का गूढ़ अर्थ स्पष्ट किया— ज्ञा – ज्ञानी बनो, न – नम्र बनो, शा – शालीन बनो और ला – लायक बनो। उन्होंने बालकों को नियमित रूप से ज्ञानशाला आने की प्रेरणा प्रदान की। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाएँ बबीता लोढ़ा, दीपिका फुलफगर, मधु पारख, संतोष बोकडिया एवं सुनीता कोठारी का कार्यक्रम की सफलता में सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं विवरण प्रस्तुति बबीता लोढ़ा ने दी।