त्रिदिवसीय पाप प्रक्षालन कार्यशाला का समायोजन

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संगरूर।

त्रिदिवसीय पाप प्रक्षालन कार्यशाला का समायोजन

साध्वी प्रांजलप्रभा जी के सान्निध्य में त्रिदिवसीय 'पाप प्रक्षालन कार्यशाला का समायोजन तेरापंथ महिला मंडल, संगरूर द्वारा किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ प्रेरणा गीत के साथ किया गया। साध्वी प्रांजलप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में द्रव्य शुद्धि की आवश्यकता को बताते हुए भाव शुद्धि के महत्व पर प्रकाश डाला। साध्वी श्री ने कहा कि पाप एक प्रकार का भीतरी मैल है। यह मैल आत्मा को मलिन करता है, उसे भवसागर के चक्रव्यूह में फंसाते हुए अधोगति में ले जाता है। पाप एक ऐसा असुर है जिसका साम्राज्य जीवन को अस्त व्यस्त, समस्याग्रस्त, असमाधिस्त और रोगग्रस्त करता है। पाप प्रक्षालन की प्रक्रिया को उजागर करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि- सर्वप्रथम हम पाप के मुख्य कारण- अविद्या, अज्ञानता और कषायता को समझें। फिर उसके निदान के उपाय प्रतिक्रमण, पश्चाताप, आत्मालोचना और प्रायश्चित करके आत्मशुद्धि के मार्ग पर आगे बढ़े। साध्वी गौतमप्रभा जी ने अपनी सुमधुर आवाज में 'कर्मों की महिमा' गीत की प्रस्तुति दी।
मंडल मंत्री प्रिया जैन ने पधारे हुए संभागी जनों का स्वागत करते हुए 'पाप प्रक्षालन' पर अपने भाव प्रस्तुत किये। डॉ रामकरण जैन ने सुंदर भजन की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष सुशील जैन ने साध्वी श्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सबका आभार ज्ञापन किया है। इस त्रिदिवसीय कार्यशाला में संगरूर के स्थानीय श्रावक समाज ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। महिला मंडल ने मिच्छामी दुक्कडम गीत का सामूहिक संगान किया।