मुमुक्षु बहनों का मंगल भावना समारोह

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कोयंबतूर।

मुमुक्षु बहनों का मंगल भावना समारोह

तेरापंथ भवन, कोयंबटूर में समणी जिनप्रज्ञा जी के सान्निध्य में मुमुक्षु अंजलि सिंघवी और मुमुक्षु दीक्षा छाजेड का मंगल भावना समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम के पूर्व शांतिलाल-मंजूबाई सिंघवी के निवास से भवन तक शोभा यात्रा निकाली गई। समणी जिनप्रज्ञा जी द्वारा नवकार मंत्र का उच्चारण एवं मंडल द्वारा मंगलाचरण के बाद सभा अध्यक्ष देवीचंद मांडोत, तेरापंथ ट्रस्ट प्रमुख बच्छराज गिडिया तथा तेयुप अध्यक्ष चैनरूप सेठिया ने मुमुक्षु बहनों के प्रति मंगलकामना व्यक्त की। ज्ञानशाला के बच्चों एवं प्रशिक्षिकाओं ने मिलकर सुंदर संवाद प्रस्तुत किया। अध्यक्षा रूपकला भंडारी ने दोनों दीक्षार्थी बहनों की निर्विघ्न मंगल यात्रा की कामना की।
जैन महासंघ सचिव राकेश गोलछा, स्थानकवासी समाज से घीसूलाल हिंगड़ और मूर्ति पूजक संघ से गुलाब मेहता ने दीक्षार्थियों के प्रति मंगलकामना मय विचार व्यक्त किए। मंडल की बहनों द्वारा प्रस्तुत संवाद गीतिका हृदयस्पर्शी रही, जबकि कन्या मंडल द्वारा प्रस्तुत प्रेरणादायक नाटक ने सभी का मन मोह लिया। मुमुक्षु अंजलि के पारिवारिक सदस्यों ने अपनी भावनाएं संवाद, गीतिका एवं नाटक के माध्यम से प्रकट की। समणी क्षांतिप्रज्ञा जी ने कहा कि शांति के साथ सजगता के भाव से संयम मार्ग पर चलना चाहिए। समणी जिनप्रज्ञा जी ने अपने उद्बोधन में आगम के तीन महत्वपूर्ण वाक्य — 'समयं गोयम् मा पमाइए', 'खणं जाणाहि पंडिए', 'काले कालं समायरे' — का अर्थ समझाया। मुमुक्षु अंजलि ने बताया कि इन तीन रत्नसमान वाक्यों को अपने जीवन में उतारा है।
दोनों दीक्षार्थियों को साधना की राह पर आत्मस्थ रहने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही कोयंबटूर क्षेत्र के लिए भी मंगलकामना की गई ताकि और संतानों को दीक्षा के लिए प्रेरित किया जा सके। उपासिका सुशीला बाफना और बेंगलुरु से विनोद कोठारी ने भी विचार रखे। मुमुक्षु अंजलि ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए। मुमुक्षु दीक्षा ने भी अपने संघर्ष एवं साधना की कहानी प्रस्तुत की। कार्यक्रम का कुशल संचालन जैनसुख बैद द्वारा किया गया।