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तपस्या से होता है आध्यात्मिक शक्तियों का जागरण
साध्वी पुण्ययशाजी के सान्निध्य में मोनिका सुराणा (धर्मपत्नी मनीष सुराणा) के 31 दिनों के मासखमण तप की अनुमोदना का कार्यक्रम तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ। साध्वी पुण्ययशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि तप मोक्ष मार्ग की साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है। तपस्या से न केवल आध्यात्मिक शक्तियों का जागरण होता है, बल्कि शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य की प्राप्ति भी संभव होती है। उन्होंने बताया कि तपस्या के द्वारा कर्मों की महान निर्जरा होती है।
मासखमण तप की अनुमोदना में श्रावक-श्राविकाओं ने पचरंगी तप सहित अन्य तपों की मानो झड़ी लगा दी। इस अवसर पर कुल 49 व्यक्ति उपवास से लेकर सात दिन की तपस्या तक विभिन्न प्रकार के प्रत्याख्यान स्वीकार किये। इस अवसर पर विजया बाफणा ने वर्धमान ओली तप की पांच लड़ी, बीस दिन की तपस्या पूर्ण की। साध्वी विनीतयशाजी, साध्वी वर्धमानयशाजी और साध्वी बोधिप्रभाजी ने सभी तपस्वियों का अनुमोदन करते हुए उत्साहवर्धन किया।
साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रेषित मंगल संदेश का वाचन जितेन्द्र घोषल ने किया। मंगलाचरण एवं तप अनुमोदना गीत तेरापंथ सभा एवं महिला मंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया। तपस्विनी के परिवार ने भावाभिव्यक्ति एवं तप गीत की प्रस्तुति दी। सभा अध्यक्ष राकेश छाजेड़, तेयुप अध्यक्ष विक्रम महेर, महिला मंडल अध्यक्ष मंजु बोथरा, कमल सुराणा, अरुण संचेती व सुमन पटवारी ने मोनिका सुराणा को मासखमण तप की सफलता पर बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। तीनों संस्थाओं की ओर से तप अभिनंदन पत्र एवं जैन पट्ट से मोनिका सुराणा का अभिनंदन भी किया गया।