वीतरागता की ओर उठे कदम वीतराग बनकर ही हों कृतार्थ

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बालोतरा।

वीतरागता की ओर उठे कदम वीतराग बनकर ही हों कृतार्थ

साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में बालोतरा की दीक्षार्थिनी बहन मुमुक्षु राजुल खाटेड़ एवं मुमुक्षु साधना बांठिया का मंगलभावना समारोह एवं वर्धापन संयम का कार्यक्रम तेरापंथी सभा बालोतरा के तत्वावधान में आयोजित हुआ। मंगलभावना समारोह की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से की गई। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी आत्मा में एक वैराग्यरूपी सुघोषा घंटा है। जब वह बजता है तो कोई विरल आत्मा उस नाद को सुनकर वैराग्य के महापथ पर प्रस्थित होती है। उन विरल आत्माओं में दो नाम जुड़ रहे हैं – मुमुक्षु राजुल और मुमुक्षु साधना। ये दोनों संयमी आत्माएं संयम की पतवार हाथ में लेकर भवसागर के पार जाने के लिए कुशल खेवैया, तारणहार आचार्य महाश्रमणजी के श्रीचरणों में अपना जीवन समर्पित करने के लिए कटिबद्ध हैं। ये संयम के रथ पर आरूढ़ होकर दीक्षा लेने वाली हैं। दीक्षा केवल वेश परिवर्तन नहीं, हृदय परिवर्तन है। यह दिखावा नहीं, दर्शन है। दीक्षा प्रदर्शन नहीं, प्रेरणा है। तेरापंथ की दीक्षा अपने आपको आनंद से जोड़ने का उत्सव है। मैं यही मंगलकामना करती हूँ कि श्रीचरणों में अपना सर्वस्व समर्पण कर पल-पल आनंद की अनुभूति करें। वीतरागता की ओर उठे ये कदम वीतराग बनकर ही कृतार्थ हों। दीक्षार्थिनियों के माता-पिता और पारिवारिकजन भी धन्यता का अनुभव कर रहे हैं कि उनके परिवार का हीरा तेरापंथ के कोहिनूर से आभामंडित होने के लिए चरणन्यास कर रहा है। साध्वी कर्णिकाश्रीजी ने कहा कि तेरापंथ की दीक्षा मर्यादा, अनुशासन और समर्पण की दीक्षा है। गुरुचरणों में सर्वात्मना समर्पित रहकर नव-विकास करना है। डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा कि सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की ओर बढ़ते इन कदमों का हम स्वागत करते हैं। धर्मसंघ में दीक्षित होकर प्रभु महाश्रमण रूपी कल्पतरु की छांव में साधना कर अभ्युदय के पथ का वरण करना है। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने कहा कि संघ-माली से सिंचन पाकर संयम-पुष्प बनकर हर पल साधना की सुवास से सुवासित रहना है। साध्वी समत्वयशाजी ने सुमधुर स्वरों में अपने भाव प्रस्तुत किए। दीक्षार्थिनी मुमुक्षु राजुल ने कहा कि मेरे वैराग्यरूपी अंकुर को सैकड़ों चारित्रात्माओं ने सिंचित किया है। मेरे संसार पक्षीय भ्राता मुनि ध्रुवकुमारजी ने मेरे वैराग्य को पुष्ट किया है। इस दीक्षा आदेश काल में प्रबुद्ध साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य ने मुझे नई ऊर्जा प्रदान की है। मैं पूरे बालोतरा समाज एवं अपने पारिवारिक जन के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ। दीक्षार्थिनी मुमुक्षु साधना ने कहा कि मुझे लगा संसार का मार्ग कर्मबंध का रास्ता है और दीक्षा बंधन-मुक्ति का उपाय। संयम जीवन लाभ का सौदा है। साध्वी अणिमाश्रीजी का सान्निध्य मेरे जीवन का स्वर्णिम अध्याय है। मैं संयम की साधना करती हुई निरंतर गुरु इंगितानुसार आगे बढ़ती रहूँ, यही मंगलकामना है। सभाध्यक्ष महेंद्र वेदमुथा, महिला मंडल की निवर्तमान अध्यक्ष निर्मला संकलेचा और तेयुप अध्यक्ष संदीप रेहड़ ने शुभकामनाएं प्रेषित कीं। पारिवारिक जन सोहनराज जैन, मीनाक्षी खाटेड़ और प्रेक्षा जैन ने अपने भाव व्यक्त किए। राजुल बाई के पारिवारिक जन ने गीत के माध्यम से अपनी लाडली की वर्धापना की। महिला मंडल और कन्यामंडल ने रोचक आरती की प्रस्तुति दी।