ग्रंथि विमोचन का पर्व है भगवती संवत्सरी

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बालोतरा।

ग्रंथि विमोचन का पर्व है भगवती संवत्सरी

'शासनश्री' साध्वी सत्यप्रभाजी एवं साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में भगवती संवत्सरी की आराधना विशाल जनमेदिनी की उपस्थिति में संपन्न हुई। राजेश बाफना ने बताया कि पर्युषण महापर्व के दौरान पूरा भवन अखंड जप की तरंगों से तरंगित होता रहा। चौबीस घंटे चलने वाले छह दिन के जप अनुष्ठान में सैकड़ों भाई-बहनों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। तप मंदाकिनी में अनेक भाई-बहनों ने स्नान कर आत्मा को उज्ज्वल, पवित्र एवं निर्मल बनाया। संवत्सरी महापर्व के एक दिन पूर्व लगभग नब्बे भाई-बहनों की अट्ठाई तप की अनुमोदना की गई। इसी क्रम में मीना मेहता ने प्रखर तप, बाबूलाल सालेचा ने कंठी तप, आयुषी भंडारी ने ग्यारह, मयंक वेद मुथा ने नौ, आयुषी जीरावला, प्राची संकलेचा, अंतिमा गोलेछा एवं बालक आर्यन ने अट्ठाई तप का साध्वीश्री से प्रत्याख्यान किया।
'शासनश्री' साध्वी सत्यप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवती संवत्सरी का महापर्व आत्मावलोकन का पर्व है, ग्रंथि विमोचन का पर्व है, आत्मा को विशुद्ध एवं विशुद्धतर बनाने का उत्सव है। राग-द्वेष की गांठों को खोलकर हल्का होने का यह उत्तम अवसर है। साध्वीश्री ने संवत्सरी के इतिहास का विश्लेषण करते हुए गणधरवाद की सारगर्भित प्रस्तुति दी। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने वक्तव्य में कहा— “संवत्सरी महापर्व ऋजुता व मृदुता का महापर्व है। अष्ट की उपासना, वीतरागता की साधना एवं आत्मआराधना का पर्व है। यह आत्म-संपदा से संपन्न बनने का समय है—बाहर से लौटकर भीतर की ओर दृष्टिपात करने का अवसर है। आत्मा को जानने व समझने का यह स्वर्णिम अवसर है।” 
साध्वीश्री ने महासती चंदनबाला की रोचक कथा का प्रभावोत्पादक शैली में प्रस्तुतीकरण किया एवं तेरापंथ की यशस्वी आचार्य परंपरा का वाचन किया। साध्वीश्री ने क्षमायाचना के दिन ‘खमतखामणा’ के महत्व को प्रतिपादित करते हुए निशल्य बनने की प्रेरणा दी। साध्वी कर्णिकाश्रीजी ने तीर्थंकर चरित्र की व्याख्या की। साध्वी ध्यानप्रभाजी ने निन्हववाद का सटीक विश्लेषण किया। साध्वी सुधाप्रभाजी ने जैन धर्म के प्रभावक आचार्यों का प्रभावी शैली में प्रतिपादन किया। साध्वी समत्वयशाजी ने कल्पसूत्र का वाचन किया। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने भगवान महावीर के साधना काल की रोचक घटनाओं को सुंदर अभिव्यक्ति दी। ‘खमतखामणा’ का दृश्य भी बड़ा ही भावपूर्ण एवं निराला था। सभाध्यक्ष महेंद्र बैद मुथा ने संपूर्ण श्रावक समाज एवं सभी संस्थाओं की ओर से गुरुदेव, साध्वीवृंद एवं समस्त समाज से खमतखामणा की। सभा के सहमंत्री राजेश जैन ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।