पर्युषण महापर्व के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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पर्युषण महापर्व के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में भिक्षु विहार में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा (कोलकाता-पूर्वांचल) ट्रस्ट द्वारा क्षमापना दिवस पर सामूहिक खमतखामणा कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर बृहत्तर कोलकाता के गणमान्य व्यक्ति और श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाएँ बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मुनि जिनेश कुमार जी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पर्वों की दुनिया में पर्युषण पर्व एक विशिष्ट पर्व है और इसका शिखर दिन संवत्सरी है। यह मैत्री का महान पर्व है। मैत्री वह सेतु है जो टूटे हुए दिलों को जोड़ता है, वह मंत्र है जो जन-जन के मन को पावन कर देता है और वह रसायन है जो तनावपूर्ण माहौल में मिठास घोल देता है। मुनिश्री ने कहा कि जैन धर्म में खमतखामणा का विशेष महत्व है। क्षमा सरोवर में स्नान करने के समान, खमतखामणा से मन की शुद्धि होती है। यह तनाव मुक्ति का मार्ग है और मन के सकल तनाव और संतापों को धोकर हल्केपन का अनुभव कराता है। मुनि ने आगे कहा कि खमतखामणा एक प्रकार की चिकित्सा है और दिल में आई दीवारों को जोड़ने का नाम है। संवत्सरी पर राग-द्वेष और गलतियों को भूलकर सभी से खमतखामणा करनी चाहिए। इसमें क्षमा मांगना और क्षमा देना दोनों समाहित हैं। इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि क्षमा जीवन का बसंत है और खमतखामणा करने से जीवन खिल उठता है। मुनि कुणाल कुमार जी ने बताया कि खमतखामणा के छींटे राग-द्वेष की अग्नि को शमित कर देते हैं और संवत्सरी पर्व की सार्थकता इसी से जुड़ी हुई है। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल द्वारा मैत्री गीत के संगान से हुआ। खमतखामणा कार्यक्रम में महासभा के महामंत्री विनोद बैद, अणुव्रत विश्वभारती सोसायटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह दुगड़, दीक्षार्थी अर्हम सिंघी, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की संगठन मंत्री रमण पटावरी, जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा कोलकाता के मंत्री उम्मेद नाहटा, ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय सिंघी, मुख्य न्यासी बाबू लाल गंध आदि विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित थे। महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेश गोयल ने भी सभी श्रावक-श्राविकाओं को खमतखामणा करवाया। आभार ज्ञापन पूर्वांचल सभा के मंत्री पंकज दोसी ने किया, और कार्यक्रम का संचालन संगठन मंत्री हसमुख मुथा ने किया।