जीवन में गुरु और मां का होता है अनंत उपकार

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जयपुर।

जीवन में गुरु और मां का होता है अनंत उपकार

सोडाला श्यामनगर स्थित भिक्षु साधना केंद्र में को तेरापंथ धर्म संघ के आठवें गुरु आचार्य कालूराम जी का 90 वां निर्वाण उत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें मुनि तत्त्वरुचि जी 'तरुण' ने कहा - कि हर व्यक्ति को अपने सदगुरु और मां-बाप के ऋण से उऋण होने की भावना रखनी चाहिए। क्योंकि जीवन में गुरु और मां का अनंत उपकार होता है। मुनिश्री ने आगम शास्त्र के आधार पर बताया कि शिष्य चाहे अनंत ज्ञानी भी बन जाए तो भी अपने गुरु के उपकार के प्रति आभारी रहे। भगवान महावीर इसके आदर्श पुरुष थे। आचार्य कालूगणी के जीवन से भी हमें यही प्रेरणा मिलती है। मौके पर मुनिश्री ने आचार्य तुलसी जी द्वारा अपने गुरु की स्तुति में लिखे गये गीत का मधुर संगान भी किया। मुनि संभव कुमार जी ने कहा कि आचार्य कालूगणी करुणा की प्रतिमूर्ति थे। प्रेम और वात्सल्य के अथाह सागर थे।
सरलता, विनम्रता-कोमलता उनके स्वाभाविक गुण थे। मुनि श्री जी ने कहा - आज उनकी पुण्यतिथि पर उनके इन गुणों को स्वयं के जीवन में अपनाने का प्रयास करना ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर तपस्वी शांतिलाल भंसाली ने 10 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ महिला मंडल (सी-स्कीम) की अध्यक्षा कनक आंचलिया व मंत्री राजकुमारी बाफना ने साहित्य भेंट कर तप की अनुमोदना की।