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आत्मा को उज्ज्वल बनाने का सरल उपाय है तप
केवल पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही विद्वान या पंडित नहीं होता। भगवान महावीर ने कहा है कि जो समय को जानता है और उसे समझकर आगे बढ़ता है, वास्तव में वही पंडित कहलाता है। प्रत्येक मनुष्य में संकल्प शक्ति और दृढ़ निश्चय होना चाहिए, तभी वह जीवन में सफल हो सकता है। उपरोक्त विचार साध्वी संयमलता जी ने जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, विजयनगर के तत्वावधान में आयोजित तप अभिनंदन समारोह में कहे। साध्वीश्री ने कोमल बाफना, जिन्होंने महज 21 वर्ष की आयु में तथा काजल पीतलिया, जिन्होंने 28 वर्ष की लघु आयु में मासखमण तप कर अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति के बल पर इतिहास रचा, उनका तपोभिनंदन करते हुए कहा कि संकल्प शक्ति के धनी ही तप समरांगण में अपना शौर्य दिखा पाते हैं।
साध्वी श्री ने आगे कहा कि आत्मा को उज्ज्वल और पवित्र बनाने का सरल उपाय है तप। तप रूपी झूले में झूलने वाला ही वास्तविक आनंद प्राप्त करता है तथा भव-भव के संचित कर्मों को तोड़ता है। साध्वी वृंद ने स्व-रचित गीत द्वारा दोनों तपस्वी बहनों का अभिनंदन किया। साध्वी मनीषा प्रभा जी ने कहा कि तपस्या बहुत दुर्लभ कार्य है। तप को अनेक रोगों को ठीक करने वाली दवा बताया गया है। इसे अपने जीवन में उतारने वाला स्वस्थ तथा आध्यात्म से संपन्न बनता है। साध्वी रौनकप्रभा जी ने ध्यान का प्रयोग करवाया। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल की बहनों द्वारा मंगलाचरण से हुआ। मंडल की उपाध्यक्ष सुमित्रा बरडिया
एवं सह मंत्री अनिता जीरावला ने तपोभिनंदन के क्रम में लघु नाटिका प्रस्तुत की। तपस्वियों के पारिवारिक सदस्यों ने गीत की प्रस्तुति दी एवं अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। बंसीलाल पीतलिया ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी का संदेश वाचन किया। तेयुप अध्यक्ष विकास बांठिया, तेयुप मंड्या अध्यक्ष कमलेश जैन, अणुव्रत समिति अध्यक्ष महेंद्र टेबा, जितेंद्र घोषल एवं विक्रम दुगड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीश्री द्वारा तपस्वी बहनों को प्रत्याख्यान करवाया गया। सभा एवं महिला मंडल द्वारा तपस्वी बहनों का सम्मान किया गया।