लघु नाटिका का मंचन

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लघु नाटिका का मंचन

जयपुर। सोडाला, श्याम नगर स्थित भिक्षु साधना केंद्र में तेरापंथ महिला मंडल (सी-स्कीम) ने आचार्य भिक्षु के गृहस्थ जीवन से संबंधित एक प्रसंग को लघु नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने इससे समाज को कुरूतियों से मुक्त होने का संदेश दिया। इस अवसर पर मुनि तत्त्व रुचि जी 'तरुण' ने अपने उदबोधन में कहा - आचार्य भिक्षु 18वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक और क्रांतिकारी संत थे। जिन्होंने तत्कालीन समाज में व्याप्त दम्भ, कुरूतियों और अंधविश्वासों का विरोध किया तथा समाज को नई दिशा प्रदान की। मुनि संभवकुमार जी ने कहा - आचार्य भिक्षु जागृत प्रज्ञा के धनी थे। उनकी बुद्धि चाणक्य से भी अधिक निखरी हुई थी। वे औत्पातिकी बुद्धि वाले महापुरुष थे। वे जटिल से जटिल सवालों और समस्याओं को सहजता से समाहित कर देते। ऐसा व्यक्तित्व सदियों में कभी-कभी अवतरित होता है। कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा सुमधुर गीत की प्रस्तुति दी गयी। अन्त में मुनिश्री ने लोगों को रोचक प्रश्नोत्तरी द्वारा आचार्य भिक्षु के जीवन से परिचित कराया।