मंत्र साधना से दूर होते हैं ग्रहों के दुष्प्रभाव

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गंगापुर।

मंत्र साधना से दूर होते हैं ग्रहों के दुष्प्रभाव

कालू कल्याण कुंज में चल रहे नवरात्रि महोत्सव के अंतर्गत नौ दिनों तक आध्यात्मिक मंत्र स्तुति स्थापना का सामूहिक अनुष्ठान मुनि प्रसन्न कुमार जी के सान्निध्य में हुआ। मुनिश्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि जीवन में आने वाली बाधाएँ, समस्याएँ और ग्रहों के कुप्रभाव को आध्यात्मिक मंत्र साधना के माध्यम से दूर किया जा सकता है। भक्तामर स्तोत्र, नवकार मंत्र और लोगस्स स्तोत्र जैसे दिव्य स्तुतियों के रहस्यमय प्रयोगों से व्यक्ति आत्मिक शांति, कष्ट-निवारण और आत्म-सिद्धि प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि जैन, बौद्ध, वैदिक और इस्लामी — सभी परंपराओं में मंत्र साधना और स्तोत्र अनुष्ठान को कष्ट निवारण और मानसिक स्थिरता के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है।
मुनि श्री ने कहा कि नवरात्रि के नौ दिन ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष महत्व रखते हैं, क्योंकि इस अवधि में नौ ग्रह समानांतर अक्षांश में स्थित रहते हैं। ऐसे समय में किए गए मंत्र अनुष्ठान अत्यधिक फलदायी सिद्ध होते हैं। उन्होंने भक्तामर स्तोत्र के प्रथम श्लोक की विशेषता बताते हुए कहा कि महापुरुषों के चरणों का स्पर्श अहंकार का विलय कर देता है। इससे मनुष्य की एड्रिनल और पिट्यूटरी ग्रंथियाँ सक्रिय होकर शरीर में अपूर्व ऊर्जा और कार्य-सिद्धि की भावना उत्पन्न करती हैं। इसी कारण, चरण-स्पर्श और मंत्र-जप से जीवन में अद्भुत परिवर्तन संभव है।