उपासक श्रेणी कर रही है महत्वपूर्ण कार्य

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गंगाशहर।

उपासक श्रेणी कर रही है महत्वपूर्ण कार्य

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी स्वामी के सान्निध्य में उपासक श्रेणी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सब गुरुदेव तुलसी की कृपा एवं आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी और आचार्य श्री महाश्रमण जी के सतत श्रम और प्रोत्साहन का ही सुपरिणाम है कि हमारे तेरापंथ समाज में इतने उपासक और उपासिकाएँ तैयार हुई हैं। ये वहां भी पहुँचते हैं जहाँ साधु-साध्वी या समणियाँ नहीं पहुँच पाते और लोगों को पर्युषण आराधना करवाते हैं — यह अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है।
उन्होंने कहा कि यदि उपासक-उपासिकाएँ न होते, तो अनेक श्रावक-श्राविकाएँ उपवास, पौषध, सामायिक और जाप से वंचित रह जाते तथा संस्कारहीन बन जाते। इन्होंने गुरुदृष्टि के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रों में धर्मजागरण का कार्य किया है। मुनिश्री ने प्रेरणा दी कि वे निरंतर अपनी आत्म-साधना करते हुए, अन्य साधकों की साधना में भी सतत सहयोगी बनें। इस अवसर पर उपासक राजेन्द्र सेठिया, उपासिका श्रेया गुलगुलिया, कनक गोलछा, बुलबुल बुच्चा, रक्षा बोथरा और लीला सिंघी ने अपने क्षेत्रों के मधुर संस्मरण सुनाकर उपासक श्रेणी की महत्ता को उजागर किया। तेरापंथ सभा द्वारा नए उपासकों का साहित्य व पताका से स्वागत किया गया। यह स्वागत सभा के पूर्व अध्यक्ष अमरचंद सोनी, मंत्री जतनलाल संचेती और जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कोचर ने किया। इस बार उपासक श्रेणी की परीक्षा में सात व्यक्तियों ने सफलता प्राप्त की — धीरेन्द्र बोथरा, अनिल बैद, किरण लुणिया, मधु सेठिया, संतोष सिंघी, लीला सिंघी और बेबी सेठिया।