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उत्कर्ष - विषयक कार्यशाला का आयोजन
प्रोफेसर डॉ. साध्वी मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से सूरत में प्रथम बार तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित ‘बेटी तेरापंथ की - उत्कर्ष’ विषयक कार्यशाला को संबोधित करते हुए साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा — 'जीवन की ऊंचाई ही उत्कर्ष है। सोचने और करने का तरीका ऊंचा होना ही उत्कर्ष है। तेरापंथ एक आचार्य-केन्द्रित धर्मसंघ है। अनुशासन, आज्ञा, मर्यादा और व्यवस्था इस संघ के प्राणतत्त्व हैं।' उपस्थित तेरापंथ की बेटी समुदाय को प्रेरणा प्रदान करते हुए उन्होंने कहा — 'परिवार में जो बहन जिस स्टेज पर है, उसे मर्यादा में रहना चाहिए। किसे कैसे रहना — इस विवेक का जागरण भी आनंददायी है। आपका व्यवहार किसी के लिए परेशानी न बने। परदोष-दर्शन से दूर रहने का प्रयास होना चाहिए। भगवान महावीर के कर्म सिद्धांत को आधार मानकर धर्माचरण की दिशा में प्रस्थान हो।'
इस अवसर पर साध्वी प्रो. मंगलप्रज्ञा जी ने ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी तथा जैन विश्व भारती यूनिवर्सिटी में चलने वाले अध्ययन की जानकारी प्रदान की। तेरापंथ बेटियों द्वारा मंगल संगान किया गया। तेरापंथ महासभा संगठन मंत्री प्रकाश डाकलिया ने कहा — 'सभी रिश्तों की सूत्रधार बेटियां होती हैं।' साध्वीश्री के चिंतन से स्थानीय स्तर पर होने वाले इस आयोजन को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष हजारीमल ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया। सूरत सभा द्वारा इस सफल आयोजन हेतु साध्वीश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने ‘तेरापंथ की बेटियां रो शुभ मिलन मनहारी’ गीत का संगान किया।
साध्वी डॉ. राजुलप्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त किए। बेटी तेरापंथ महासभा प्रकल्प सूरत की संयोजिका पूजा मेहता ने कहा — 'आज इस आध्यात्मिक पीहर में आकर हम आत्मानंद की अनुभूति कर रही हैं।' खुशबू जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला मुख्य प्रशिक्षिका मनीषा सेठिया ने बहनों को नमस्कार मंत्र से संबंधित खेलों के माध्यम से माहौल में नवरंग भरा। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने किया। तेरापंथ सभा की ओर से बहनों को उपहार स्वरूप साहित्य प्रदान किया गया।