अवैध स्रोत से कमाए धन से होती है उन्माद और प्रमाद की उत्पत्ति

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गंगापुर।

अवैध स्रोत से कमाए धन से होती है उन्माद और प्रमाद की उत्पत्ति

व्यक्ति श्रम करता है, अपनी आय अर्जित करता है, जिससे उसका जीवन संचालित होता है। नैतिकता और ईमानदारी से कमाया गया धन व्यक्ति को सुकून और शांति प्रदान करता है। इसके विपरीत, अवैध स्रोत से कमाए धन से उन्माद और प्रमाद की उत्पत्ति होती है, जो अंततः व्यक्ति के पतन का कारण बनती है। यह विचार मुनि प्रसन्न कुमार जी ने अणुव्रत मंच द्वारा आयोजित ‘नशामुक्त विकसित भारत’ कार्यशाला में व्यक्त किए। यह आयोजन स्थानीय कालू कल्याण कुंज में हुआ।मुनि धैर्य कुमार जी ने कहा कि व्यक्ति का व्यक्तित्व तभी आकर्षक हो सकता है, जब वह आध्यात्मिकता और भौतिकता के बीच संतुलन स्थापित करे। अणुव्रत इस दिशा में एक शतप्रतिशत मार्गदर्शक सिद्धांत बन सकता है।
अणुव्रत प्रवक्ता रमेश हिरण ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन पिछले कई वर्षों से देश के नैतिक और चारित्रिक विकास के लिए सतत प्रयत्नशील है। इसका उद्देश्य है कि देशवासी नैतिकता और चरित्रबल के माध्यम से अपना आंतरिक उत्थान कर सकें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, पूर्व प्राचार्य मुरली मनोहर भट्ट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नशे की प्रवृत्ति युवाओं को रसातल में ले जा रही है। छोटे-छोटे बच्चों में आरंभ होने वाली यह बुरी आदत आगे चलकर परिवार के विनाश का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि इस पर प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है, तभी परिवार और समाज को बचाया जा सकता है।
कार्यक्रम में बच्चों ने शराब के दुष्परिणामों पर आधारित एक लघु नाटिका प्रस्तुत की, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। आयोजन में मंच संयोजिका प्रीति रांका, दीपिका सैनी, सरोज भंडारी, भानु कुमार तथा अन्य सदस्यों का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संयोजन तेयुप अध्यक्ष लविश रांका ने किया। अंत में अतिथियों ने बच्चों को पुरस्कार वितरित किए।