अनेकांतवाद कार्यशाला का आयोजन
गदग
तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के सान्निध्य में व महिला मंडल के तत्त्वावधान में अनेकांतवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। शासनश्री साध्वी पद्मावती जी ने कहा कि भगवान महावीर ने चार प्रकार के सिद्धांत हमारे सामने दिएअहिंसा, अपरिग्रह, अभय और अनेकांत। अनेकांत का अर्थअनाग्रह की वृत्ति का अर्जन और आग्रह वृत्ति का विसर्जन। तुम भी सही हम भी सही। डॉ0 साध्वी गवेषणा जी ने कहा कि समाज, परिवार और प्रत्येक व्यक्ति को अनेकांत की जरूरत है, अकड़-पकड़ और जकड़ के विराम का नाम ही हैअनेकांतवाद। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि अच्छी सूरत से ज्यादा मायने अच्छा स्वभाव रखता है। सूरत तो उम्र के अनुसार बदल जाएगी पर अच्छा स्वभाव जीवन-भर आपका साथ देगा। साध्वी मेरुप्रभा जी ने गीतिका की प्रस्तुति दी। साध्वी दक्षप्रभा जी के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। महिला मंडल के अध्यक्ष प्रेमलता कोठारी ने भाषण के द्वारा सबका स्वागत किया। आभार ज्ञापन कन्या मंडल प्रभारी सारिका संकलेचा ने किया। कार्यक्रम का संचालन महिला मंडल की मंत्री विजेता भंसाली ने किया।