ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है शरद पूर्णिमा का चांद

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छत्तरपुर, नई दिल्ली।

ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है शरद पूर्णिमा का चांद

साध्वी कुंदनरेखा जी के सान्निध्य एवं तेरापंथ सभा दिल्ली के तत्वाधान में Full Moon Meditation का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रकृति की अनुकूलता न होने पर भी शताधिक भाई बहनों में उल्लासमय माहौल में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस अवसर पर साध्वी कुंदन रेखा जी ने कहा, शरदपूर्णिमा का समय अपने आप में अद्भुत है क्योंकि यही वह समय और दिन है जब अपनी संपूर्ण कलाओं से जगमगाता चंद्रमा विशेष प्रकार की रश्मियां संप्रेषित करता हैं जिससे शांति और आनंद तो मिलता ही है, उन रश्मियों के साथ जुड़ने वाला अपने आवेश और आवेग को भी नियंत्रित कर सकता है।
शरद पूर्णिमा का आगमन ऋतु परिवर्तन को दर्शाता है। गर्मी की समाप्ति एवं शरद ऋतु का आगमन सभी के भीतर आह्लाद का वातावरण निर्मित करता है। प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री उम्मेद दुगड़ ने कहा आज का दिन जहां मंत्र एवं तंत्र विद्या की सिद्धि में सहायक बनता है, वहीं आत्मशोधन के मार्ग को भी प्रशस्त करता है। इस दिन खीर खाने का प्रचलन है ताकि कई तरह की शारीरिक व्याधियों को शांत किया जा सके। इतना ही नहीं यह पूनम मन भावों की शुद्धि कर अध्यात्म में प्रवेश करवा सकती हैं। लगभग 45 मिनट का ध्यान भी करवाया गया जो प्रभावी रहा। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया एवं आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर विशेष रूप से रमेश गोयल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महावीर, तुलसी बाल विद्यालय के प्रिंसिपल आदि उपस्थित थे। संदीप डुंगरवाल ने संपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सराहनीय श्रम किया।