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29 की तपस्या कर साहस का दिया परिचय
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में प्रियंका रांका के मासखमण अनुमोदन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। मुनिश्री ने अपने उद्गार में बताया कि यह दिन आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की पुण्यतिथि का भी है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी तेरापंथ धर्मसंघ के दशवें आचार्य थे — विद्या, विनय और विवेक से संपन्न महान व्यक्तित्व। वे अपने गुरु के रहते हुए आचार्य बनने वाले पहले आचार्य थे। इस अवसर पर विमल चौरड़िया ने आचार्य श्री की स्तुति में चालीसा एवं गीत का संगान किया। मुनिश्री ने कहा कि प्रियंका मूलतः 17 उपवास की तपस्या करना चाहती थीं, परंतु उनके उत्साह और स्वास्थ्य को देखकर मैंने उन्हें मासखमण का संकल्प दिया, जिसे उन्होंने सहजता से स्वीकार कर सफलतापूर्वक पूर्ण किया। उनकी तपस्या में पति जितेंद्र का नियमित सहयोग रहा — वे दर्शन और प्रत्याख्यान हेतु प्रतिदिन साथ रहते थे। प्रियंका ने सामायिक, जप और स्वाध्याय के साथ बाह्य–आंतरिक दोनों प्रकार की तपस्या की है। ऐसी साधनायुक्त, आडंबर-रहित तपस्या न केवल प्रसंसनीय बल्कि अनुकरणीय है। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी के संदेश सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड़ ने पढ़कर सुनाया, जिसे महिला मंडल की पदाधिकारियों ने प्रियंका को समर्पित किया। पारिवारिक बहनों ने तप अनुमोदन गीत प्रस्तुत किया तथा मुनि कमल कुमार जी ने भी प्रेरक गीतिका का संगान किया।