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मासखमण तप अभिनंदन का भव्य आयोजन
मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में राजलक्ष्मी दुगड़ एवं वैकुण्ठ नाहटा के मासखमण तप पर अभिनंदन समारोह का आयोजन जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा (कलकत्ता-पूर्वांचल) ट्रस्ट द्वारा भिक्षु विहार में किया गया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा— 'जैन धर्म में तप का विशिष्ट महत्व है। तप से अतीत के पाप कर्मों का प्रक्षालन होता है, अनागत की वासनाओं का विसर्जन होता है और वर्तमान में आत्मशक्ति का प्रवर्धन होता है। तप से देह-संवेदनाओं का सम्यक विसर्जन होता है तथा कर्मों की अपूर्व निर्जरा होती है। जीवन-जागरण, आत्मशोधन, बंधन-मुक्ति, मानसिक एकाग्रता, इंद्रिय-शमन और स्वभाव-परिवर्तन तपस्या के फल हैं। तप अक्षय शिव-सुख की उपलब्धि का साधन है।' उन्होंने कहा कि चातुर्मास में तपस्या का निर्झर निरंतर बह रहा है। राजलक्ष्मी दुगड़ एवं वैकुण्ठ नाहटा ने मासखमण तप कर अद्भुत मनोबल और आत्मबल का परिचय दिया है। पूर्वांचल चातुर्मास में अब तक मासखमण व उससे अधिक की कुल 15 तपस्याएँ हो चुकी हैं। मुनिश्री ने दोनों तपस्वियों की सराहना करते हुए उनके प्रति मंगलकामना की।
इस अवसर पर स्वागत भाषण पूर्वांचल सभा अध्यक्ष संजय सिंघी ने दिया। साध्वी प्रमुखाश्रीजी के संदेश का वाचन तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल की उपाध्यक्ष विनीता बरमेचा एवं मंत्री नीता बोथरा ने किया। अभिनंदन पत्र का वाचन पारसमल बच्छावत और मुकेश पुगलिया ने किया। तप अभिनंदन में कलकत्ता सभा अध्यक्ष अजय भंसाली, मध्य-उत्तर कोलकाता अध्यक्ष पारसमल सेठिया, उपासक झब्बरमल दुगड़, श्रेयांस नाहटा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। तप अनुमोदना में रीना नाहटा एवं परिवार की बहनों के साथ भूरामल सामसुखा और मोतीलाल विनायकीया ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किए। आभार ज्ञापन सभा मंत्री पंकज डोसी ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी एवं संगठन मंत्री हंसमुख मुथा ने संयुक्त रूप से किया।